मेरठ क्राइम न्यूज़: परतापुर औद्योगिक क्षेत्र में विजयदशमी की छुट्टी के उपरांत भी बुधवार को अपने को लेबर टीम के अधिकारी बताने वाले परतापुर स्थित एक उद्यमी के यहां पहुंचे। जहां विजयदशमी की लगभग छुट्टी के कारण न तो उद्यमी न ही दफ्तर में कोई संस्था का अधिकारी उपस्थित था। वहां जब निकटवर्ती उद्यम में उपस्थित व्यक्तियों ने पूछताछ की और उक्त संस्था में किसी सक्षम के न होने एवं छुट्टी वाले दिन पर आने का विरोध किया तथा वहां की एसोसिएशन अथवा आईआईए के पदाधिकारियों से बात करने के लिए कहा तो वो बात न कर, धमकाते हुए भाग गए। इसकी सूचना डीएम को उचित कार्रवाई करने, उद्यमियों को उत्पीड़न से रोकने, औद्योगिक माहौल खराब होने से रोकने के लिए दे दी गयी है। मेरठ का उद्योग जो शांतिपूर्वक कार्यरत है उसकी शांतिभंग करने वालों पर कठोरात्मक कार्रवाई करने कर निवेदन भी किया गया है। इसके उपरांत मेरठ के डिप्टी लेबर कमिश्नर राजीव सिंह, असिस्टेंट डायरेक्टर फैक्ट्रीज रवि प्रकाश सिंह से भी वार्ता हुई और दोनों ही अधिकारियों ने ऐसी किसी के संदर्भ से अनभिज्ञता जताई तथा बताया कि अवकाश वाले दिन तो निरीक्षण का प्रश्न ही नहीं उठता। उक्त गुनहगारों की फोटो भेजने पर से भी उन्होंने इनकार कर दिया और बताया कि ऐसे व्यक्ति विभाग को बदनाम कर रहे हैं और उन्हें पकड़वाने में उद्यमी विभाग का सहयोग करे। इसके बाद आईआईए ने समस्त उद्यमियों को सूचित कर दिया है कि ऐसे फर्जी व्यक्तियों को बंदी बनाकर कार्रवाई के लिए विभाग एवं पुलिस के हवाले कर दें।
बर्खास्तगी के बाद भी नहीं हुई 4.20 लाख की रिकवरी: उद्यान विभाग द्वारा की गई माली की नियुक्ति पर सवाल उठ रहे। उद्यान विभाग ने गर्दन फंसती दे माली को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त तो कर दिया, लेकिन शैक्षिक योग्यता के फर्जी प्रमाण पत्र के मामले में थाने में मुकदमा दर्ज नहीं कराया गया। अब 4.20 लाख रुपए की रिकवरी भेजी गई है।
दरअसल, यह मामला है मछरी फार्म हाउस का। मछरी फार्म हाउस उद्यान विभाग के अधीन काम करता है। यहां पर वर्ष 2018 में उद्यान विभाग के अधिकारियों ने प्रेम कुमार की माली के पद पर नियुक्त की थी। इसकी शिकायत जिंगल गिरी निवासी मछरी ने की, जिसके बाद विभागीय स्तर पर इसकी जांच पड़ताल भी तो उसके शैक्षिक प्रमाण पत्र जो कक्षा आठ के लगाए गए थे, वो गलत पाए गए, जिसके बाद ही 2021 तक प्रेम कुमार ने नौकरी की। उसके बाद उसे उद्यान विभाग के अधिकारियों ने बर्खास्त कर दिया। बर्खास्तगी के बाद 4.20 लाख की जो रिकवरी की जानी थी। वह अभी तक विभाग के अधिकारी नहीं कर पाए है।ं यही नहीं, धोखाधड़ी का मुकदमा भी थाने में दर्ज नहीं कराया गया, जिसमें शैक्षिक प्रमाण पत्र गलत पाए गए। इसकी भी शिकायत हुई थी। पूरा मामला सामने आने के बाद भी कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? यह बड़ा सवाल है।