यमुना में वृंदावन से गोकुल तक चलाने के लिए दो क्रूज स्वीकृत
उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद की देखरेख में संचालित होगी परियोजना
मथुरा: यमुना में वृंदावन से लेकर गोकुल तक जल परिवहन की परियोजना अब जल्द ही मूर्त रूप लेने जा रही है. इस परियोजना के लिए दो क्रूज स्वीकृत हो चुके हैं, जिनकी क्षमता 400 सवारियों की होगी. इनके संचालन के लिए करीब 40 करोड़ रुपए का टेंडर सितंबर माह में निकाला जाएगा. इसके अलावा आधा दर्जन से अधिक स्टीमर भी आएंगे.
उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद की ओर से यमुना में जल परिवहन का प्रस्ताव सांसद हेमामालिनी के माध्यम से पूर्व केंद्रीय जल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भेजा गया था. उन्हीं के समय केंद्रीय जल परिवहन मंत्रालय की टीम ने आकर सर्वे भी किया था और अपनी विस्तृत रिपोर्ट तैयार की थी. नितिन गडकरी के बाद
केंद्रीय जल परिवहन मंत्री बने सर्बानंद सोनोवाल ने भी इस परियोजना को आगे बढ़ाया है. परियोजना को धरातल पर लाने के लिए केंद्रीय मंत्रालय ने कदम बढ़ाया है. मथुरा में वृंदावन से लेकर गोकुल तक यमुना में चलने के लिए दो क्रूज आवंटित किए हैं. इन दो क्रूज के अलावा आधा दर्जन से अधिक स्टीमर भी होंगे, जिनसे यात्री वृंदावन से गोकुल या गोकुल से वृंदावन तक आ जा सकेंगे. केंद्रीय मंत्रालय की इस परियोजना को उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद संचालित कराएगा.
22 किमी होगा मार्ग, 11 स्थानों पर बनेंगे टर्मिनल
वृंदावन से गोकुल तक का यमुना जलमार्ग लगभग 22 किमी लंबा होगा, जहां पर्यटक क्रूज से कई स्थानों पर उतर और चढ़ सकते हैं. इस मार्ग में कुल 11 स्थानों पर टर्मिनल बनेंगे. इनमें जुगल घाट, विहार घाट, केशी घाट, देवराहा बाबा घाट, पानीगांव, कंसकिला, स्वामी घाट, विश्राम घाट, सुदर्शन घाट, गोकुल घाट और गोकुल बैराज पर टर्मिनल बनेंगे.
वाटर लेबल करना होगा मेंटेन
यमुना में यदि बाढ़ और उसके बाद की स्थिति को छोड़ दिया जाए तो अक्सर पानी कम ही दिखता है. ऐसे में क्रूज चलाने के लिए वाटर लेवल को मेंटेन करना बड़ी चुनौती होगी. इस बारे में जिला पर्यटन अधिकारी डीके शर्मा ने बताया कि यमुना में क्रूज चलाने के लिए केंद्रीय मंत्रालय की टीम ने पूर्व में सर्वे किया था. तब टीम की ओर से कहा गया था कि यमुना में जहां जलस्तर कम होगा, वहां-वहां स्थानीय अथॉरिटी से ड्रेजिंग करा लेंगे. जानकारी मिली है कि क्रूज उच्चस्तरीय क्वालिटी वाले हैं, जिनके लिए ज्यादा गहरे पानी की आवश्यकता नहीं होगी.
सड़क पर यातायात का दवाब होगा कम
वृंदावन-गोकुल जल मार्ग के चलन में आने के बाद सड़क परिवहन और जाम का दवाब कम हो जाएगा. यह जलमार्ग यात्री परिवहन का एक अतिरिक्त विकल्प तो होगा ही, साथ ही ब्रज की संस्कृति को और गहराई से जानने का एक जरिया भी बनेगा. प्राचीन और पारंपरिक यमुना घाटों का प्रत्यक्ष दर्शन श्रद्धालुओं को अलग ही अनुभूति दिलाएगा.