मधुमक्खी पालन की बारीकियां बताईं, विशेषज्ञ बोले, रोजगार व आय सृजन का अच्छा माध्यम
वाराणसी। मिर्जामुराद क्षेत्र के कृषि विज्ञान केंद्र कल्लीपुर, में मधुमक्खी पालन से उद्यमिता विकास पर आयोजित २१ दिवसीय व्यावसायिक प्रशिक्षण शिविर का शनिवार को समापन हुआ। इस दौरान प्रशिक्षुओं को मधुमक्खी पालन की बारीकियां सिखाई गईं। वहीं विशेषज्ञों ने इसे रोजगार व आय सृजन का अच्छा माध्यम बताया।
कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक व अध्यक्ष डॉक्टर नरेंद्र रघुबंशी ने कहा कि बेरोजगार व भूमिहीनों के लिए मधुमक्खी पालन रोजग़ार एवं आय सृजन का बहुत ही अच्छा माध्यम है। जनपद में मधुमक्खी पालन की अपार सम्भावनाए हैं। सीजन में एक बॉक्स से प्रति हफ़्ते पांच से सात किलो तक शहद निकाला जा सकता है। प्रशिक्षण समन्वयक एवं केंद्र के प्रसार वैज्ञानिक डॉक्टर राहुल कुमार सिंह ने कहा कि मधुमक्खी पालन को शुभारम्भ करने का यह बहुत ही उपयुक्त समय है। किसान 10 बक्से से मधुमक्खी पालन शुरू करा सकते हैं। एक वर्ष में लगभग अस्सी हज़ार रुपया तक शुद्ध बचत कर सकते हैं। मधुमक्खी पालन में शहद सबसे सस्ता उत्पाद है। अधिक आय प्राप्त करने के लिए इसके अन्य महत्वपूर्ण उत्पाद जैसे- बी पालेन, प्रपोलिश, मोम, रॉयल जेली एवं बी वेनम को तैयार करने की आवश्यकता है।
डॉक्टर सिंह ने कहा की शहद को वैज्ञानिक तरीक़े से प्रसंस्करण की आवश्यकता है। इससे यह लम्बे समय तक गुणवत्तायुक्त बना रहेगा। केंद्र के वैज्ञानिक श्रीप्रकाश सिंह ने किसान उत्पादक कम्पनी बनाकर शहद एवं अन्य उत्पादों का प्रसंस्करण कर अच्छे पैकिंग के साथ बाज़ार में ले जाने की बात कही। इस अवसर पर केंद्र के प्रक्षेत्र प्रबंधक राणा पीयूष, अरविंद गौतम सहित दर्जनों किसान उपस्थित रहे।