तीन निजी एजेंसियां ने 3000 सफाईकर्मियों के हक पर मारा डाका
जांच में कईतरह की खामियां भी मिलीं
मथुरा: शहर में झाड़ू लगाने वाली तीन निजी एजेंसियां 3000 कर्मचारी का हक मार रही हैं. उन्हें न तो पूरा वेतन दे रही हैं और न ही उनका यूएएन, इपीएफ और ईएसआईसी नंबर ही लिया है. मास्टर रोल पर इन कर्मचारियों का कोई विवरण नहीं मिला है. जबकि नगर निगम ने 10 महीने में इन तीनों एजेंसियों को कर्मचारियों के वेतन व पीएफ के लिए .02 करोड रुपए का भुगतान किया है. मुख्य नगर लेखा परीक्षक की जांच में इसका खुलासा हुआ है.
नगर निगम में वैसे तो कई एजेंसियां साफ-सफाई के काम में लगी हैं. लेकिन जांच में तीन एजेंसियों को भुगतान में बड़ी गड़बड़ी का खुलासा हुआ है. यह जांच खुद मुख्य नगर लेखा परीक्षक ने की है. नगर निगम में उपलब्ध दस्तावेजों की जांच से पता चला कि यह तीनों एजेंसियां खेल पर खेल कर रही हैं. कर्मचारियों का हक मार रही हैं. उन्हें पूरा वेतन नहीं दे रही हैं. जिसे दे रही हैं उसे भी समय पर नहीं मिल रहा. जबकि कर्मचारियों के वेतन के नाम पर इन्होंने नगर निगम से .02 करोड रुपए का भुगतान लिया है. कर्मचारियों के मास्टर रोल पर किसी कर्मचारी का कोई विवरण भी अंकित नहीं मिला है. जबकि नियमानुसार मास्टर रोल पर विवरण होना जरूरी होता है.
जांच में कईतरह की खामियां भी मिलीं
● इन एजेंसियों के पंजीकरण तथा नवीनीकरण के प्रपत्र फाइल पर संलग्न नहीं मिले. इससे इनके पंजीकरण, नवीनीकरण शुल्क की नगर निगम को क्षति हुई है.
● इन एजेंसियों को जिन कर्मचारियों के वेतन के नाम पर भुगतान किया गया उनके किसी प्रकार के प्रपत्र, बैंक स्टेटमेंट भी नहीं मिले हैं. जिससे यह नहीं पता चला पाया कि किस कर्मचारी को किस माह तक और कितना भुगतान किया जा रहा है. इन एजेन्सियों ने कई कर्मचारियों को कई-कई महीनों से वेतन भुगतान नहीं किया है. जांच में इसे गंभीर स्थिति बतायी गयी है.
● श्रम विभाग के शासनादेशों के अनुरूप कर्मचारियों को मानदेय का भुगतान तीनों निजी एजेंसियां नहीं कर रही हैं.
● उपस्थिति प्रपत्र पर सक्षम प्राधिकारी के हस्ताक्षर नहीं हैं. इसे प्रमाणित ही नहीं किया गया.
10 महीने में तीन एजेंसियों को .02 करोड़ भुगतान
10 महीने में नगर निगम ने इन तीनों एजेंसियों को कुल .02 करोड़ रुपए का भुगतान किया है. एक एजेंसी को 23 से जनवरी 24 तक 2.82 करोड़, दूसरी एजेंसी को इसी अवधि में 4.01 करोड़ तथा तीसरी एजेंसी को इसी अवधि के 10 महीने में 5.19 करोड रुपए का भुगतान किया.