उत्तरप्रदेश। घर में घुसकर दुष्कर्म करने और बाद में गर्भवती होने के मामले में पीड़िता सुनवाई के दौरान विशेष कोर्ट में बयानों से मुकर गयी. विशेष जज पाक्सो एक्ट प्रथम हरिप्रसाद की विशेष कोर्ट ने कलम बंद बयानों को मजबूत आधार मानते हुए आरोपी को नाबालिग से दुष्कर्म करने का दोषी मानते हुए सश्रम दस वर्ष की कैद की सजा सुनायी. विशेष कोर्ट ने दोषी पर 11 हजार का जुर्माना ठोका है. विशेष कोर्ट ने जुर्माना में से 10 हजार की राशि पीड़िता को देने के भी आदेश दिये हैं.
विशेष लोक अभियोजक सरनाम सिंह ने बताया कि थाना सुभाषनगर में पीड़िता के पिता ने 25 अप्रैल 2020 को एफआईआर दर्ज करायी थी. आरोप था उसके घर रामसिंह आता जाता था. पीड़ित पिता के अनुसार पांच माह पूर्व आरोपी रामसिंह ने घर में अकेली देख उसकी नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म किया. आरोपी ने
किसी को बताने पर हत्या की धमकी दी. जब पीड़िता के पेट में दर्ज हुआ तब डॉक्टर ने चेकअप कर उसे पांच माह की गर्भवती बताया. सुभाषनगर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट में एफआईआर दर्ज कर आरोपी रामसिंह को जेल भेजा था. विवेचना के दौरान हुए कलमबंद बयान में पीड़िता आरोपी द्वारा दुष्कर्म करने के आरोप लगाये थे. केस की सुनवाई विशेष जज पाक्सो एक्ट प्रथम हरिप्रसाद की विशेष कोर्ट में हुई थी. आरोप साबित करने को विशेष लोक अभियोजक सरनाम सिंह ने पीड़िता समेत गवाह पेश किये थे. कोर्ट में गवाही के दौरान पीड़िता अपने बयानों से मुकर गयी. उसने बयान दिया कि दुष्कर्म करने वाले नकाबपोश को वह पहचान नहीं पायी थी .