दरिंदगी करने वाले को जिंदा रहने का अधिकार नहीं: कोर्ट

Update: 2023-03-18 13:39 GMT

गाजियाबाद न्यूज़: मोदीनगर थानाक्षेत्र में नौ साल की बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या मामले मामले पॉक्सो कोर्ट ने दोषी को फांसी की सजा सुनाई. विशेष न्यायमूर्ति ने फैसले के दौरान कहा कि इस तरह के अपराध में दरिंदे के साथ किसी तरह की नरमी समाज के लिए ठीक नहीं है. ऐसे व्यक्ति को जिंदा रहने का कोई अधिकार नहीं है.

विशेष न्यायमूर्ति ने यह सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि इस गंभीरतम श्रेणी के अपराधी के साथ किसी तरह की सहनशीलता न बरतते हुए फांसी की सजा सुनाई जाती है. अपराधी को मृत्यु होने तक फांसी पर लटकाया जाए.

अगले दिन पुलिस ने किया था गिरफ्तार पुलिस ने घटना के बाद से फरार आरोपी कपिल कश्यप को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. पॉक्सो कोर्ट में अंतिम सुनवाई हुई. अदालत के विशेष लोक अभियोजक संजीव बखारवा ने बताया कि बच्ची से दुष्कर्म के बाद हत्या करने वाला अभियुक्त कपिल कश्यप है, जो गांव का ही रहने वाला है और वह मजदूरी करता है. अदालत के विशेष न्यायमूर्ति ने साक्ष्य एवं 14 गवाहों के बयान के आधार पर बच्ची से दुष्कम व हत्या के मामले में अभियुक्त कपिल कश्यप को के दिन घटना का दोषी ठहराया था. दोषी को फांसी की सजा सुनाई.

सिर झुकाए कोर्ट में खड़ा रहा कातिल

मोदीनगर क्षेत्र की इस सनसनीखेज घटना फैसला सुनाया जाना था. अदालत के बाहर मृतका के परिजन फैसला सुनने के लिए 12 बजे से टकटकी लगाए बैठे थे. वही दोपहर करीब 1 बजे डासना जेल से अभियुक्त को कोर्ट के हवालात में लाया गया. वहीं, लंच के बाद ओपन कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई. इस दौरान अभियुक्त मुह पर कपड़ा बांधे और सिर झुकाए कोर्ट में मौजूद रहा. कटघरे में इसकी सुरक्षा में पुलिस मौजूद थी. उस समय कोर्ट रूम खचाखच भरा था.

मात्र एक सप्ताह में चार्जशीट पुलिस ने मात्र एक सप्ताह के भीतर अभियुक्त कपिल के खिलाफ विवेचना कर आरोप पत्र कोर्ट में पेश कर दिया था. पॉक्सो कोर्ट के विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि कोर्ट ने 14 सितंबर 2022 को आरोपपत्र पर संज्ञान ले लिया था.

बचाव पक्ष के वकील ने कोर्ट से राहत की मांग की थी, दलील दी कि अभियुक्त का यह पहला अपराध है. इसलिए सजा में सहनशीलता बरती जाए. लेकिन कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया.

-बचाव पक्ष के अधिवक्ता

अपराधी ने 9 साल की मासूम बच्ची के साथ इस तरह की गणित वारदात को अंजाम दिया है जो दया का पात्र नहीं हो सकता. अभियुक्त को इसके लिए मृत्युदंड भी कम है. -संजीव बखरवा, विशेष लोक अभियोजक

विशेष लोक अभियोजक संजीव बखरवा ने बताया कि इसी अदालत से बीते 5 फरवरी को बच्ची से यौन उत्पीड़न के बाद हत्या करने वाले दरिंदे को फांसी की सजा सुनाई गई थी. यह घटना साहिबाबाद थाना क्षेत्र में सिटी फॉरेस्ट के पास हुई थी. पोक्सो कोर्ट प्रथम की अदालत से इस मामले में घटना के मात्र 65 दिन बाद दरिंदे को फांसी की सजा सुनाई गई थी.

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