मथुरा: जंक्शन रेलवे स्टेशन पर किसी भी घटना को अंजाम देने के बाद शातिरों की पहचान करना अब आसान हो जाएगा. शातिरों पर नजर रखने और उनकी शक्लो सूरत की सही पहचान करने के लिए उच्च तकनीक वाले सीसीटीवी कैमरे लगाने की तैयारी चल रही है. ये कैमरे दो किलोमीटर तक नजर रख सकते हैं. इसके लिए निजी कंपनी टीसीएल द्वारा जंक्शन की सुरक्षा में लगी एजेंसियों से सम्पर्क किया है. कंपनी ने जंक्शन के संवेदनशील स्थलों पर पीटीजेड कैमरे लगाने की पेशकश की है.
जंक्शन रेलवे स्टेशन पर किसी भी संगीन वारदात के बाद उसे अंजाम देने वालों की पहचान और तलाश करने में सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को खंगाला जाता है. इसके आधार पर शातिर की पहचान कर उसे तलाश किया जाता है, लेकिन कभी कभी कैमरों की खराब फुटेज के कारण शातिर की पहचान करना मुशकिल हो जाता है. चालू वर्ष के शुरू में जंक्शन के सर्कुलेटिंग एरिया से ढाई वर्ष की बच्ची चोरी हो जाने के बाद सीसीटीवी कैमरों की फुटेजों के माध्मय से बच्ची को लेकर जाने वाले की पहचान के प्रयास जीआरपी द्वारा किए गए थे. घटना को किसने अंजाम दिया इसका तो कोई फुटेज जीआरपी को नहीं मिला, लेकिन मां बच्ची के साथ जंक्शन पर किस रास्ते से पहुंची उसके फुटेज अवश्य मिले थे. इन फुटेजों की हालत इतनी खराब थी कि उसमें बच्ची और उसकी मां का चेहरा सही तरह से नहीं दिख रहा था. चोरी हुई बच्ची का आज तक कोई पता नहीं चला है, लेकिन इस घटना ने सुरक्षा ऐजेंसियों को इस बात पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया कि जंक्शन पर उच्च तकनीक वाले सीसीटीवी कैमरों की आवश्यकता है.
जंक्शन पर उच्च तकनीक वाले पीटीजेड कैमरे लगाने वाली निजी कंपनी टीसीएल के अधिकारियों ने जीआरपी थाना प्रभारी निरीक्षक से संपर्क किया है. कंपनी के अधिकारियों ने जीआरपी थाना प्रभारी निरीक्षक विकास सक्सेना को कैमरों की क्वालिटी, उनके रख रखाव आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी है. कंपनी के अधिकारियों ने उन्हें भरोसा दिया कि कैमरों को लगाने के बाद वह उनकी पूरी देख भाल के साथ उन्हें सर्विलांस भी करेंगे.
कैमरे की फोटो को जूम करने पर नहीं फटेंगे फिक्सल पीटीजेड कैमरे द्वारा कैप्चर की गई फोटो या पिक्चर की क्वालिटी के बारे में कंपनी का दावा है कि उसे कितना भी जूम किया जाए उसके फिक्सल नहीं फटेंगे. जिससे शातिर की पहचान करना काफी आसान होगा.