सऊदी अरब की हुकूमत के मनमाने फैसलो से मुस्लिम जगत परेशान: मुफ्ती सलीम

Update: 2023-02-19 07:41 GMT

बरेली: सऊदी हुक़ूमत द्वारा जारी किये गए नए कानून जिसमें 12 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों को हज यात्रा पर साथ ले जाने पर नया प्रतिबंध लगाया है और हालिया वर्षो में हाजियों पर सऊदी हुकुमत ने विभिन्न प्रकार के टैक्स लगाकर हज यात्रा को मंहगा कर दिया है। उस पर अपनी प्रतिक्रिया मरकज़े अहल-ए-सुन्नत दरगाह आला हजरत के मुफ्ती मोहम्मद सलीम बरेलवी ने कहा कि हज मज़हबे इस्लाम में पाँच फर्ज़ों में एक फ़र्ज़ है।और अहम और बुनियादी इबादत में आता है। जो हर उस मुसलमान पर फर्ज़ है जो हज यात्रा करने में सक्षम हो। मुसलमान अल्लाह के घर और अपने पैगम्बर उनकी यादगारों उनसे संबंधित चीज़ो उनके तबररुकात की ज़ियारत और उनकी आखिरी आराम गाह गुम्बदे खज़रा का दीदार करना अपनी ज़िन्दगी का बेश क़ीमती मक़सद समझता है। मुसलमानों के इन्ही मज़हबी जज़्बात का एहतिराम करते हुए विश्व का हर देश अपने अपने नागरिकों की हज यात्रा में विशेष सुविधाएं उपलब्ध करने का हर संभव प्रयास करता है। इस संबंध में सऊदी अरब हुकुमत का यह फर्ज़ बनता है कि वह विश्व भर के मुस्लिम समुदाय के लिए उनके इस मज़हबी फर्ज की अदायगी में आसानियां पैदा करे और इसके लिए सरल क़ानून बनाए। लेकिन हम देख रहे हैं कि सऊदी अरब की नजदी और वहाबी हुकुमत आए दिन ऐसे ऐसे हज कानून लाती है व प्रत्येक वर्ष ऐसे नए-नए टैक्स लगाती है जिस से विश्व भर के मुसलमानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और उनका यह मज़हबी फर्ज अदा करना मंहगा होता जा रहा है। अभी की हम बात करें तो सऊदी हुकुमत ने एक और मनमाना फैसला जारी कर विश्व भर के मुसलमानों के सामने एक जटिल समस्या खड़ी कर दी कि 12 वर्ष से कम के बच्चे को माँ-बाप अपने साथ हज यात्रा पर नहीं ले जा सकते।

इस मनमाने क़ानून से वह मुसलमान जिनके बच्चों की उम्र 12 साल से कम है हज जैसे फर्ज की अदायगी से महरूम हो जाएंगे। हज यात्रा करने में सक्षम होने के कारण जिन पर हज फर्ज़ हो चुका है और वह अपने 12 वर्ष के बच्चे को 45 दिन की इतनी लम्बी मुद्दत तक किसी के सहारे छोड़कर नहीं जा सकते। सऊदी हुकुमत को अपना यह मनमाना फैसला थोपने से पहले खूब सोच समझना लेना चाहिए था। इस्लामिक जगत से मशवरा करना चाहिए था ऐसे बच्चे वाले लोग कैसे हज करेंगे? यह तो उनके ऊपर एक बडा ज़ुल्म होगा और उन्हे जबरदस्ती जान बूझकर हज के फर्ज की अदायगी से रोकना है जिसकी कुरआन ने पहले पारे में यह कह कर मज़ममत की है कि "और उस से बढकर ज़ालिम कौन जो अल्लाह की मस्जिदों (काबा शरीफ,मस्जिदे हराम शरीफ आदि) को रोके उन में नामे खुदा लिए जाने से"। मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने हिंदुस्तान की हुकुमत से अपील करते हुए कहा कि वह सउदी हुकुमत को वह अपने स्तर से भारतीय मुसलमानों की भावनाओं से अवगत कराते हुए 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों पर लगाई गई रोक पर पुर्नविचार करने व रोक हटवाने का प्रयास करे और सऊदी हुकुमत हज यात्रा को सस्ता और आसान बनाए।

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