संशोधित नक्शे में बच गया मकान अब वापसी की लगा रहे गुहार

Update: 2024-04-15 08:22 GMT

गोरखपुर: उमेश सिंह ने पत्नी मंजू सिंह के नाम पर मैत्रीपूरम पूर्वी के न्यू मॉडल कॉलोनी में एक-एक पाई जोड़कर 1990 में जमीन खरीदा था. 2013 में बच्चों की पढ़ाई बेटी की शादी और मकान बनवाने की चिंता में 2013 में उमेश सिंह और 2014 में पत्नी मंजू सिंह को हार्टअटैक आया. कुछ शुभचिंतकों और रिश्तेदारों की मदद से किसी तरह से बेटे की शादी करने के लिए रुपये का इंतजाम किया और 2015 में रिटायरमेंट के पैसे से मकान बनवाया. वर्षों संघर्ष करने के बाद जमीन खरीदकर मकान बनवाया. जब मकान टूटने की नौबत आई तो फिर उन्हें अपनी चलती हुई गाड़ी का पहिया खिसकता नजर आया. मन मसोसते हुए मुआवजा तो ले लिया लेकिन जब पता चला कि कुछ हिस्सा ही जाएगा तो उसी आशियाने में रहने का मन बना लिया. उमेश भी जिला प्रशासन से मुआवजा लेकर मकान वापस करने की गुहार लगा रहे हैं.

पहले जिन लोगों ने रजिस्ट्री के बदले मुआवजा लिया था उनमें लोग ऐसे हैं जिनका मकान नाले के बारा बनाए गए डिजाइन में बच गया है. ऐसे में वे अब मुआवजा वापस कर बारा से मकान अपने नाम कराना चाहते हैं. इस पर कोई व्यवस्था नहीं है. शासन से दिशा-निर्देश मांगा गया है.

- सुशील कुमार गौंड, सीआरओ

मैत्रीपुरम में रहने वाले रेलकर्मी मुरारी श्रीवास्तव का परिवार इन दिनों गजब ही उलझन से गुजर रहा है. इस परिवार का दिन में सुकून और रात का चैन सब छिन गया है. यह परिवार अपने ही घर को प्रशासन से खरीदने की गुहार लगा रहा है. जानकर थोड़ी हैरानी होगी लेकिन यह सच है.

दरअसल, गोड़धोइया नाला प्रोजेक्ट के पास मैत्रीपुरम में रहने वाले इस परिवार का पूरा मकान टूट रहा था. इस पर मुरारी ने सरकारी उलझनों में फंसने की बजाए मकान की रजिस्ट्री कर मुआवजा लेना बेहतर समझा. करीब महीने पहले मुरारी श्रीवास्तव ने मकान रजिस्ट्री कर दी. इसी बीच मैत्रीपुरम संघर्ष समिति के कुछ सदस्यों ने सीएम योगी से मिलकर मकान को टूटने से बचाने की गुहार लगाई.

सीएम के निर्देश पर जल-निगम ने बारा डिजाइन बनाया तो मुरारी समेत लोगों के घर का काफी कम हिस्सा ही नाले की जद में आया. मकान को तोड़ने की स्थिति खत्म हो गई. अब मुरारी समेत लोगों ने जिला प्रशासन से मिलकर घर का मुआवजा वापस लेकर रजिस्ट्री अपने पक्ष में करने की गुजारिश की है.

जिला प्रशासन ऐसे आवेदन से असमंजस में पड़ गया है. क्योंकि ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिसमें मकान को वापस कर वितरित मुआवजा लेने की बात कही गई है. मकानों का मुआवजा करीब करोड़ के आसपास है. प्रशासन ने शासन को पत्र लिखकर दिशा-निर्देश मांगा है.

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