लखनऊ: निकाय चुनाव में दिन पर दिन टल रही कोर्ट की सुनवाई से नेताओं की धड़कने बढ़ती जा रही हैं। इससे नगर की सरकार चुनने के लिए जनता को कुछ और इंतजार करना पड़ सकता है। जिस तरीके से पक्ष-विपक्ष दोनों ही चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू कर चुका था, उस पर अब कोर्ट की मंजूरी बड़ी बाधा बनती दिख रही है।
शुक्रवार को भी हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में निकाय चुनाव की सुनवाई समय की कमी के चलते टल गई। निकाय चुनाव में आरक्षण के मामले में दाखिल की गई याचिका पर आज शनिवार को भी सुनवाई होगी। शुक्रवार को केस ज्यादा होने के चलते सुनवाई पूरी नहीं हो सकी। हाईकोर्ट में जस्टिस वीके उपाध्याय एवं जस्टिस सौरव लवानिया की बेंच आज पूरे मामले पर 10:15 बजे सुनवाई करेगी।
गौरतलब है कि शनिवार को कोर्ट में छुट्टी होने की वजह से चीफ जस्टिस से स्पेशल बेंच की परमिशन मिलने के बाद शनिवार को पुनः एक बार सुनवाई होगी। हालांकि कोर्ट ने सुनवाई जारी होने तक निकाय चुनाव की 51 सीटों पर आरक्षण प्रक्रिया पर स्टे बरकरार रखा है। कोर्ट द्वारा अब तक यह सातवें बार तारीख दी गई। सरकार द्वारा पूर्व में जारी आरक्षण पर याचिका के मामले में लखनऊ की हाई कोर्ट बेंच सुनवाई कर रही हैं।
सरकारी सूत्रों का दावा है कि 21 मार्च के पहले निकायों को केंद्र सरकार द्वारा मिलने वाला बजट 31 मार्च तक खर्च करने की एडवाइजरी जारी की गई है। शासन स्तर पर एक बड़ी धनराशि अभी विकास कार्यों में खर्च करने के लिए पड़ी है, जिसको लेकर सरकार चिंतित है।
सरकारी सूत्रों का दावा है कि अंदरखाने सरकार भी चाहती है कि निकाय चुनाव टल जाए। इसके लिए सरकार ने बाकायदा एफिडेविट देकर हाईस्कूल एवं इंटर की बोर्ड परीक्षाओं का हवाला देते हुए चुनाव को अप्रैल के बाद कराए जाने की मंशा जाहिर कर दी है।
स्थानीय स्तर पर प्रत्याशियों में चुनाव की तारीख बढ़ने पर धड़कने भी बढ़ती जा रही हैं। कुछ नेताओं का मानना है कि जो चुनाव कम पैसों में लड़ा जा सकता था तारीख बढ़ने के बाद उसका चुनावी बजट भी कई गुना बढ़ जाएगा। इससे कई नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकते हैं।