मेरठ। जिले में इन दिनों बुखार का कहर बढ़ता ही चला जा रहा है। जिसमें डेंगू, मलेरिया और टाइफाइड़ से जिले के सैकड़ों मरीज पीड़ित हैं। इस बाबत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी केवल कागजी खानापूर्ति में व्यस्त हैं। सरकारी आंकड़ों में डेंगू मलेरिया और डाइफाइड बुखार के मरीजों की संख्या काफी कम दर्शाई जा रही है। मरीजों को सरकारी हास्पिटलों में उचित सुविधा नहीं मिल पा रही है। सरकारी हास्पिटलों में सुविधाओं के अभाव के चलते अधिकांश मरीज प्राइवेट चिकित्सकों से अपना इलाज कराने के लिए मजबूर हैं। प्राइवेट हास्पिटलों में बुखार के काफी संख्या में मरीज भर्ती हैं।
बता दें कि जिले में इस वक्त गंभीर बुखार ने अपने पैर जमा रखे हैं। बुखार से जिले के सैंकड़ों मरीज पीडित हैं। जिनमें अधिकांश रुप से डेंगू, मलेरिया और टाइफाइड़ के मरीज शामिल हैं। ब्लाक स्तर, नगर पंचायत स्तर एवं ग्राम पंचायत स्तर पर स्थित सरकारी चिकित्सालयों के अलावा जिला चिकित्सालय एवं मेडिकल में स्वास्थ्य सेवाओं का काफी अभाव है। मरीजों को यहां डाक्टरों द्वारा न तो उचित सलाह मिल पा रही है और न ही अच्छी दवाइयां दी जा रही हैं। जिसके चलते मरीजों को बिमारी में कोई फायदा नहीं मिल पा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग में सुविधाओं के अभाव के कारण जिले के अधिकांश मरीज प्राइवेट चिकित्सकों को महंगी फीस देकर इलाज करा रहे हैं। गंभीर बुखार के मरीजों को परिजनों द्वारा प्राइवेट हास्पिटलों में भर्ती कराया गया हैं। उधर स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में ब्लाक, नगर पंचायत व ग्राम पंचायत स्तर पर न तो मच्छरों को कंट्रोल करने के लिए कोई प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं और न ही एंटी लारवा स्पे्र कराई जा रही है। जिसके चलते जिले में टाइफाइड, मलेरिया और डेंगू के मरीज दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही चले जा रहे हैं। उधर स्वास्थ्य विभाग के आला अफसर इस बाबत सब कुछ जानने के बाद भी मौन साधे हुए हैं। वहीं इस बारे में सीएमओ डा. अखिलेश से वार्ता करने की कोशिश की तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया।