पानी की कमी भविष्य में सबसे बड़ी परेशानी की वजह बनने वाली है। बेलगाम दोहन से तालानगरी में भूमिगत जलस्तर तेजी से नीचे गिरता जा रहा है। अलीगढ़ शहर के तालानगरी औद्योगिक क्षेत्र में मानकों से चार गुना ज्यादा ( 411 फीसदी) जल का दोहन किया जा रहा है। आलम यह है कि नगर निगम के नौ इलाकों में से सात डार्क जोन में पहुंच गए हैं, शेष दो भी खतरनाक स्थिति में हैं। सबसे ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि न तो जिला प्रशासन, न नगर निगम और न ही यहां के बाशिंदे इस संकट के प्रति गंभीर हैं। अफसर अतिदोहन करने वाली इकाइयों को नोटिस देकर रस्म अदायगी कर लेते हैं।
भूगर्भ विभाग के अनुसार, प्रदेश के 826 ब्लॉक में से 54 ब्लॉक अतिदोहित, 46 क्रिटिकल एवं 169 सेमी क्रिटिकल ब्लॉक हैं। यदि अलीगढ़ जिले की बात करें तो नगर निगम क्षेत्र डार्क जोन, इगलास ब्लॉक क्रिटिकल जोन, चंडौस, गंगीरी, जवां, खैर व लोधा को सेमी क्रिटिकल जोन में रखा गया है। हालांकि, धनीपुर, अतरौली, अकराबाद, बिजौली, गोंडा व टप्पल की तस्वीर कुछ राहत देने वाली है, इन इलाकों को सामान्य जोन में रखा गया है।
सबमर्सिबल पंप चूस रहे धरती का पानी
जिले में हजारों लोगों ने सबमर्सिबल पंप लगवा रखे हैं। इनसे प्रतिदिन लाखों लीटर पानी धरती से निकाला जा रहा है। इसके अलावा, आरओ प्लांट, कार वॉशिंग सेंटर, बर्फखानों व नगर निगम के नलकूप भारी मात्रा में जल दोहन कर रहे हैं। वहीं, वर्षा जल संचयन के नाम पर तालाब, पोखर बनाने, पौधरोपण और सरकारी व निजी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने के दावे किए जा रहे हैं, मगर हकीकत में कहानी जुदा है। जिले में गिरते भूगर्भ जल स्तर को लेकर आम जनता के साथ-साथ सरकारी तंत्र भी जिम्मेदार है।
सिर्फ 456 सरकारी भवनों में वर्षा जल संचय के इंतजाम
भूगर्भ जल विभाग के नोडल अधिकारी बीएस सुमन के अनुसार, शहर व देहात क्षेत्र में करीब साढ़े चार हजार से अधिक सरकारी भवन हैं, लेकिन 456 भवनों में ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा हैं। अलीगढ़ विकास प्राधिकरण (एडीए) के नियमों के मुताबिक 300 वर्ग मीटर या इससे अधिक क्षेत्रफल में बनने वाले भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य है। नक्शा पास कराने के लिए भवन स्वामियों को शपथ पत्र देना होता है। सख्ती न होने के कारण आदेश का अनुपालन नहीं हो रहा है।
सिंचाई के वक्त सूखी रहती हैं नहरें... 206 गांवों में जल संकट
किसानों को जब सिंचाई के लिए पानी की आवश्यकता होती है, तब नहर व रजबहे सूखे रहते हैं। ऐसे में किसानों को नलकूपों के माध्यम से खेतों की सिंचाई करनी पड़ती है। 65,420 नलकूपों पर 2,75,895 हेक्टेयर खेतों की सिंचाई निर्भर है। एक हेक्टेयर धान की फसल के लिए करीब 35 लाख लीटर पानी की आवश्यकता होती है। जिले में धान का रकबा 85,500 हेक्टेयर है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि नलकूपों के जरिये कितने पानी का दोहन किया जाता है। इसके चलते 206 गांव जल संकट से जूझ रहे हैं।
महानगर में क्षेत्रवार औसत जलस्तर (वर्ष 2019 से मार्च 2023 तक)
जवाहर पार्क - 34.50 मीटर, वेयर हाउस सारसौल - 25.20 मीटर, एएमयू क्षेत्र - 25.77 मीटर, प्राथमिक स्कूल पुलिस लाइन - 31.37 मीटर, फायर स्टेशन कोल तहसील - 26.85 मीटर, प्राइमरी स्कूल दोदपुर - 27.60 मीटर, कृषि फॉर्म, एएमयू - 27.60 मीटर, प्राइमरी स्कूल धौर्रा माफी - 22.75 मीटर, जूनियर हाईस्कूल नीवरी- 21.63 मीटर। कुल औसत - 26.95 मीटर।
ये है जल दोहन का मानक
- सामान्य श्रेणी - 06 से 08 मीटर
- सेमी क्रिटिकल- 15 मीटर (लगभग)
- क्रिटिकल- 20 से 22 मीटर
- डार्क जोन- 25 मीटर से अधिक
अत्यधिक जल दोहन वाली इकाइयां
- आरओ प्लांट- 150, कार वॉशिंग सेंटर - 60, बर्फखाना - करीब 25, पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर प्लांट -04, नगर निगम के नलकूप -90।
जनपद में भूजल स्तर की स्थिति
- अलीगढ़ नगर - 26.95 मीटर।
- इगलास ब्लॉक - 13.71 मीटर।
- चंडौस ब्लॉक - 14.92 मीटर।
- गंगीरी ब्लॉक - 18.78 मीटर।
- जवां ब्लॉक - 11.25 मीटर।
- खैर ब्लॉक - 8.63 मीटर।
- लोधा ब्लॉक - 20.50 मीटर।
- बिजौली ब्लॉक - 15.26 मीटर।
- अतरौली ब्लॉक - 14.82 मीटर।
- धनीपुर ब्लॉक - 17.27 मीटर।
- अकराबाद ब्लॉक - 5.86 मीटर।
- गोंडा ब्लॉक - 8.52 मीटर।
- टप्पल ब्लॉक - 16.39 मीटर।
(नोट : मानक २५ मीटर से ऊपर डार्क जोन, २० से २५ मीटर तक क्रिटिकल, ८ से २० मीटर चिंताजनक)
जिला उद्योग केंद्र में पंजीकृत इकाइयां
सूक्ष्म-लघु उद्योग - 16000, छोटे कारखाने - 300, मध्यम कारखाने- 110, बड़े कारखाने - 20
सीमेंट, मीट, डिस्टलरी में पानी के वार्षिक ऑडिट की होगी जांच
नगर निगम क्षेत्र डार्क जोन में शामिल है। भूजल दोहन रोकने के लिए व्यावसायिक, औद्योगिक संस्थानों आदि का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी लगवाए जा रहे हैं। सरकारी, अर्ध सरकारी एवं निजी इकाइयों को नोटिस जारी किए गए हैं।जल का अति दोहन करने वाले शहर के 47 होटलों को चिन्हित किया गया है। 11 को नोटिस भेजे जा चुके हैं। जिले में संचालित 13 मीट, डिस्टलरी एवं सीमेंट फैक्टरियों में पहली बार पानी के वार्षिक ऑडिट की एजेंसियों के जरिये जांच होगी। - बीएस सुमन, नोडल अफसर, भूगर्भ जल एवं सहायक अभियंता लघु सिंचाई विभाग