सनातन संस्कृति में के मूल में दया में दया की भावना: Acharya Vinay

Update: 2024-09-14 11:07 GMT
Kushinagar राजापाकड़/कुशीनगर: तमकुही विकास खंड के ग्राम पंचायत बरवाराजापाकड़ के टोला सपही बरवा में हनुमान भजन मंडल के तत्वावधान में आयोजित सप्त दिवसीय आठवें राधा अष्टमी समारोह के तृतीय दिन शुक्रवार की सायं कथावाचक आचार्य पं. विनय पांडेय ने ध्रुव चरित्र, जड़ भरत व अजामिल प्रसंग का वर्णन किया।
श्रोताओं को कथा का रसपान कराते हुए कथावाचक ने कहा कि जीवन में ईश्वर के नाम का जप अति आवश्यक है। नाम जप के प्रभाव से ही ध्रुव अचल पद को प्राप्त करते हैं। जीव जब सुनीति का आश्रय लेता है तो घर में ध्रुव का जन्म होता है और वह सत्य की खोज कर परम पद को प्राप्त करता है। सनातन संस्कृति में के मूल में दया ही बताया गया है। राजा प्राचीन बर्हि हिंसात्मक यज्ञ में पशुओं की बलि दिया करते थे। लेकिन जैसे ही सद्गुरु नारद से मुलाकात हुई तो हिंसा वृत्ति का त्याग कर निवृत्ति मार्ग को अपना लिया और कल्याण हुआ। जीवों पर दया, आत्म संतुष्टि, इंद्रीय संय
म इन तीन सूत्रों
का आश्रय लेकर भगवान को जल्दी ही प्रसन्न किया जाता है। श्रीमद्भागवत कथा में जड़ भरत जी के तीन जन्मों की कथा आती है। और जड़ भरत जी ने उपरोक्त तीनों सूत्रों को अपनाया है। अजामिल ने अज्ञात रूप से ही नारायण नाम लिया और परम पद को प्राप्त किया। किसी भी रूप में प्रभु नाम जप करना ही भागवत उद्देश्य है। व्यासपीठ का पूजन भाजपा महिला मोर्चा की उपाध्यक्ष सुनीता गोंड, डा. श्वेता सिंह, डा रंजीत पांडेय, देवेंद्र सिंह (प्रवक्ता) अनिल सिंह ने किया। इस अवसर पर नथुनी प्रसाद गोंड सपत्नीक, प्रहलाद गुप्ता, सिंहासन गुप्ता, अवधेश गुप्ता, मुन्ना लाल गुप्ता, उपेन्द्र यादव, मनीष राय,आकाश पांडेय, रघुनाथ कुशवाहा, नगीना कुशवाहा, रामायण कुशवाहा, नवीन पांडेय, ध्रुव गुप्ता,नंद किशोर गुप्ता, हरि गुप्ता, कलावती, कमला, श्वेता, रिंकी,उमा, रम्भा मुन्नी, मूर्ति, ज्योता , अनिल, शुभी, वेदिका, सुहानी, हिमांशु, निशा आदि मौजूद रहे।
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