घर बनाने के सपने को लगेगा तगड़ा झटका! UP में नहीं मिलेगी अक्टूबर से ईंट, भट्टा संचालकों ने GST के विरोध में लिया हड़ताल का फैसला

यूपी के लोगों का अब अपना घर बनाने का सपना अधूरा रहने वाला है, क्योंकि घर बनाने के लिए ईंट जरूरी है.

Update: 2022-05-19 06:14 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यूपी के लोगों का अब अपना घर बनाने का सपना अधूरा रहने वाला है, क्योंकि घर बनाने के लिए ईंट जरूरी है. अब हमीरपुर में भट्टा संचालकों ने निर्माण बन्द करने का इरादा बना लिया है (Uttar Pradesh Brick kiln), दरअसल यह लोग अपने ऊपर लगाई जाने वाली जीएसटी का विरोध कर रहे हैं. पहले इन्हें एक मुश्त समाधान के तरह रखा गया था लेकिन फिर इन्हें इससे बाहर करते हुए 12% और 6% जीएसटी के दायरे में लाया गया है (Hamirpur Brick kiln). वर्तमान में कोयले की कीमतें कई गुना बढ़ गयी है, जब कि ईंट का रेट वैसे का वैसा है, ईंट का दाम बढ़ाने से आम लोगों को नुकसान होगा और लोग अपने-अपने निर्माण कार्य रोक देंगे. इसी के चलते भट्टा संचालकों ने फैसला किया है कि वो आगामी सीजन अक्टूबर 2022 से सितम्बर 2023 तक अपने ईंट भट्टों का काम पूरी तरह से बन्द रखेंगे, जिससे लाखों मजदूर भी रोजी रोटी के लिए परेशान होंगे.

आज हमीरपुर जिले के मौदहा कोतवाली कस्बे में ईंट निर्माता संघ ,हमीरपुर के कार्यकर्ताओं ने एक बैठक का आयोजन कर अपने ईंट भट्टो को बंद करने का फैसला लिया ,संघ के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल की माने तो सरकार. ईंट भट्ठा पर जो जीएसटी बढ़ाई गई है ,उसके चलते ईंट संचालकों को खासा नुकसान होगा,क्योकि कोयला की कीमत और मजदूरी में बढ़ोतरी से ईंट निर्माण की लागत बढ़ी हुई है, जीएसटी लागू होने पर हम लोगों को एक मुश्त समाधान के तहत 15 से 20 लाख रुपये साल भर का जमा करवा लिया जाता था. लेकिन अब समाधान योजना से ईंट भट्ठा व्यवसाय को अलग कर दिया गया है. अब हमें खरीददारों से भी जीएसटी वसूलनी होगी, वैसे भी कोरोना काल के चलते लोगों की आर्थिक स्थिति कमजोर हुई है, सिर्फ जरूरत मंद लोग की घर बनवा रहे हैं. ऐसे में अगर जीएसटी में ईंट बेचेंगे तो लोग ईंट खरीदेंगे ही नहीं और उनका धंधा बर्बाद हो जायेगा, ऐसे में वो अगले सीजन में 1 अक्टूबर 2022 से सितम्बर 2023 तक अपना व्यापार बन्द कर हड़ताल करेंगे.
कोयले के रेट हुए 250 फीसदी तक महंगे
ईंट को मिट्टी से बनाने के बाद भट्टा लगाकर उन्हें पकाया जाता है, जिसमें कोयले की आवश्यकता होती है लेकिन पिछले कुछ दिनों में कोयले की कमी के चलते कोयले के रेट 250 % तक बढ़ चुके हैं. भट्टा संचालक मनमोहन का कहना है कि 5000-5500 रुपये प्रति टन में मिलने वाला कोयला अब 14 हजार रुपये प्रति तन के रेट से मिल रहा है. हर ईंट भट्टा संचालक एक साल में 20 से 25 लाख ईंटो का निर्माण करता है और एक लाख ईंट बनाने में 20 टन कोयला लगता है. कच्ची मिट्टी और मजदूरी अलग से जब कि ईंट का रेट वहीं पुराना 4500-6500 रुपये प्रति सैकड़ा चल रहा है. ऐसे में अपने घर से पैसा लग रहा है, मजदूरी ही नहीं निकल पा रही है.
भट्टा संचालको की हड़ताल से प्रदेश में ईंटो की हो सकती है किल्लत
संघ के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल की माने तो उनकी बात संघ के प्रदेश पदाधिकारियों से भी हुई है. अभी हमने हमीरपुर जिले में स्थित 24 ईंट भट्टों पर निर्माण कार्य बन्द कर हड़ताल करने का फैसला लिया है और आने वाले सीजन में प्रदेश के 19 हजार ईंट भट्टो में भी हड़ताल हो सकती है, जिससे इन भट्टो में काम करने वाले लाखों मजदूर बेरोजगार हो जाएंगे. अग्रवाल ने बताया कि अभी हम पुराना बना हुआ माल बेच कर नए माल का निर्माण नही करेंगे, एक ईंट भट्ठा लगाने की लागत लगभग 1 करोड़ रुपये होती है और इसमें साल भर में 20 से 25 लाख ईंटो का निर्माण होता है, जिसको बनाने के लिए 250 से ज्यादा मजदूर काम करते हैं.
सरकार ने अप्रैल माह से बढ़ाई है जीएसटी की दरें
हमीरपुर जिले के जीएसटी विभाग के अधिकारी राम नरेश की माने तो सरकार ने ईंट भट्टों की जीएसटी में अप्रैल माह से वृद्धि कर उन्हें 12 % और 6 % दो स्लैबों में डाला दिया है, जिस समय वैट लागू था उस समय सरकार के पास टैक्स ज्यादा पहुंच रहा था लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद ईंट भट्टा संचालक समाधान योजना के तहत केवल 1% टैक्स दे रहे थे, इसी के चलते सरकार ने ईंट भट्टा व्यवसाय पर जीएसटी बढ़ाई है, यह लोग सरकार से जीएसटी कम करने की मांग कर रहे हैं.
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