अंग्रेज कलेक्टर ने की थी शुरुआत, 94 साल पहले पड़ी थी विदुर कुटी के जीर्णोद्वार की नींव, जानिए इससे जुड़ी पौराणिक मान्यता
अंग्रेज कलेक्टर ने की थी शुरुआत
बिजनौर: पौराणिक काल की मान्यताओं से जुड़ी विदुर कुटी का जीर्णोद्वार दिवस आज है. इसकी नींव आज से 94 साल पहले 2 जून 1928 में बिजनौर जिले के तत्कालीन जिलाधिकारी जीबीएफ कयेर के द्वारा रखी गई थी. वर्तमान सरकार भी यहां पर्यटन को बढ़ावा देने और सुंदरीकरण को लेकर काफी प्रयास किए जा चुके हैं. प्रदेश सरकार की प्राथमिकता में भी विदुर कुटी शामिल है, लेकिन उसके बावजूद भी यहां पर पर्यटक नहीं आ रहें.
जुड़ी हैं पौराणिक मान्यता
महाभारत काल में महात्मा विदुर की नीति के बारे में सभी जानते हैं. वह आदर्श पुरुष होने के साथ ही धर्म शास्त्र, नीतिशास्त्र और विभिन्न विधाओं के प्रकांड पंडित, ज्योतिष और महान संत थे. उनकी विदुर नीति आज भी एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है. ऐसी मान्यता है कि जब महाभारत हुआ, तब विदुर हस्तिनापुर छोड़कर बिजनौर जिले के दारानगर गंज में गंगा के किनारे एक झोपड़ी बनाकर रहने लगे थे. वहीं भगवान कृष्ण ने भी दुर्योधन के छप्पन भोग का त्याग कर विदुर के आश्रम में बथुए के साग का भोजन किया था. जिसकी वजह से आज भी विदुर कुटी पर साल भर बथुआ पर्याप्त मात्रा में मिलता है. विदुर आश्रम में महात्मा विदुर के पदचिन्ह आज भी संगमरमर पर सुरक्षित है.
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने किया था विदुर प्राच्य विद्या केंद्र का उद्घाटन
पिछले दिनों राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा विदुर प्राच्य विद्या केंद्र का उद्घाटन और विदुर कुटी का भ्रमण किया गया. इस दौरान भी विदुर कुटी के जीर्णोद्वार की बात कही गई थी. आगामी दिनों में निश्चित तौर पर यह जगह पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होकर लोगों को अपनी ओर आकर्षित करेगी.
मंदिर में हैं देवी-देवताओं की मूर्ति
1928 में जीर्णोद्धार के समय खुदाई में एक प्राचीन शिवलिंग निकला था, जिसे शिव मंदिर बना कर उसमें स्थापित कर दिया गया. साथ ही विदुर कुटी में तीन कक्षीय मंदिर भी हैं, जिसमें भगवान श्री कृष्ण के तीन स्वरूपों की मूर्तियां स्थापित की गई हैं. 1984 में यहां छह अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी. मंदिर परिसर में विदुर की विशाल प्रतिमा और विदुर चरण चिह्न भी स्थापित हैं.