दोहरे हत्याकांड के बाद कपड़े धोकर घर पहुंचा था आरोपी बेटा

Update: 2023-09-13 09:11 GMT
उत्तरप्रदेश | यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के बल्लूखेड़ा गांव स्थित घेर में पिता और चचेरे दादा की हत्या करने के आरोपी जैस्मिन कपड़े धोकर घर पहुंचा था. घर में पहुंचने के बाद वह सोया तक नहीं और मोबाइल पर काम करता रहा. उसने ही अपने पिता की चिता को मुखाग्नि दी थी. आरोपी ने यह खुलासा पुलिस पूछताछ में किया.
बाप को मारने का पछतावा नहीं सोशल मीडिया कलाकार विक्रमाजीत के बेटे को अपने बाप की हत्या का कोई पछतावा नहीं है. पुलिस हिरासत में आरोपी ने बताया कि उसके पिता ने मुआवजे और जमीन बेचकर धन महिलाओं पर उड़ा दिया. घर के खर्च और उनके लिए वह रुपये नहीं देता था. यहां तक की विक्रमाजीत अपनी बेटी की शादी करने के लिए भी तैयार नहीं था. आरोपी ने पुलिस को पूरी कहानी विस्तार से बताई कि वह किस तरह गली के सीसीटीवी कैमरे से बचकर दीवार फांदकर घेर में पहुंचा और वहां से कपड़े धोकर घर पहुंचा.
परिवार आर्थिक संकट में था मृतक विक्रमाजीत का अपनी पत्नी शशि से तलाक हो गया था. कोर्ट ने 15 हजार प्रति माह भरण पोषण का आदेश दिया था. इसके बावजूद उसने अपने घर के हिस्से को भी भाइयों को बेच दिया था. इससे बच्चों और पत्नी के सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया था.
स्टूडियो पर 12 लाख रुपये खर्च हो रहे थे विक्रमाजीत गांव के बाहर घर में गीतों की रिकॉर्डिंग के लिए स्टूडियो का निर्माण कर रहा था. इस पर वह 12 लख रुपये खर्च कर रहा था. बेटा और पत्नी चाहते थे कि वह पहले लड़की की शादी कर दे.
भोजपुरी गायक को अभिनय के लिए देने थे दस हजार विक्रमाजीत ने एक देशभक्ति गीत लिखा था. उसकी शूटिंग वह अपने स्टूडियो में करना चाहता था. इसके लिए ग्रेटर नोएडा में रह रहे एक भोजपुरी कलाकार को भी उसने तीन हजार की पेशगी दी थी. घटना वाली रात 10 बजे तक वह भोजपुरी कलाकार उसके साथ रहा. कलाकार रुपये लेकर वापस ग्रेटर नोएडा पहुंच गया.
टप्पल में बेची थी जमीन विक्रमाजीत ने अपने हिस्से की टप्पल की जमीन बेची थी. जमीन बेचकर ही वह स्टूडियो बना रहा था. इससे पहले मुआवजे में मिले अपने हिस्से के रुपये को महिला मित्रों के साथ रंगरेलियां मनाने और शराब पीने में खर्च कर रहा था. विक्रमाजीत की पत्नी घरों में नौकरानी का काम करती थी. बेटी बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती थी और आरोपी बेटा छोटा-मोटा मोबाइल मैकेनिक था. पूरा परिवार बमुश्किल अपनी गुजर बसर कर रहा था, जबकि विक्रमाजीत ठाट-बाट की जिंदगी बसर कर रहा था.
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