Teacher Day 2022:कटरी के कान्वेंट को गुरुओं का आशीर्वाद, बच्चों के बैंक से जल रही शिक्षा की ज्योत

Update: 2022-09-05 12:08 GMT

कहतें हैं मन में कुछ कर गुजरने की ललक हो तो कोई भी कार्य मुश्किल नहीं होता। शिक्षा के क्षेत्र में ऐसा ही कार्य दो शिक्षकों ने कर दिखाया है। जिनकी अच्छी सोच और लगन ने सरकारी स्कूल को कान्वेंट स्कूल के बराबर लाकर खड़ा कर दिया। कटरी शंकरपुर स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय को लोग कटरी का कान्वेंट के नाम से जानते हैं।

प्रधानाचार्य शशि मिश्रा और सहायक अध्यापक अब्दुल कुद्दूस द्वारा बनाया गया 'विद्यार्थी अल्प बचत बैंक' भी इस कार्य को आगे बढ़ाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। दोनों ही शिक्षकों को कई सम्मानों से भी नवाजा जा चुका है। प्रधानाचार्य शशि मिश्रा और सहायक अध्यापक अब्दुल कुद्दूस की नियुक्ति यहां 2008 में हुई थी। गंगा के किनारे नत्थापुर गांव में बने इस स्कूल तक जाने वाला रास्ता पूरी तरह से कच्चा था। गांव के आस-पास के लोग अधिकतर मल्लाह प्रजाति से थे जिनका शिक्षा का स्तर शून्य था।

अब्दुल कुद्दूस बताते हैं कि शुरू में घर-घर काउंसलिंग कर लोगों को शिक्षा के लिए प्रेरित किया। घर के अभिभावकों को बच्चों को स्कूल भेजने के लिए कहा। धीरे-धीरे बच्चों ने स्कूल आना चालू किया तो उन्हें समय का महत्व बताया। कान्वेंट स्कूलों की तरह ही स्कूल में समय निर्धारित किया गया समय के बाद स्कूल में प्रवेश पर पाबंदी लगाई गई। 7.15 बजे के बाद यदि कोई बच्चा स्कूल आता तो उससे कारण अवश्य पूछा जाता है।

बच्चे बनते हैं मैनेजर, कैशियर और बैंक का स्टाफ

स्कूल का अपना 'विद्यार्थी अल्प बचत बैंक' है। जो हर शनिवार कार्य करता है। इसमें स्कूल के बच्चे अपनी पॉकेट मनी से बचाकर 10 व 20 रुपये बैंक में जमा करते हैं। स्कूल के बैंक में तैनात कैशियर बैंकों की तरह ही स्लिप देता हैं और मैनेजर उनकी पासबुक में पैसे का रिकार्ड लिखकर आगे हस्ताक्षर भी करता है। प्रधानाचार्य शशि मिश्रा ने बताया कि इन पैसों का उपयोग स्कूल से निकली छात्राओं और छात्रों की आगे की पढ़ाई में किया जाता है।

17 बच्चों से शुरू आज 156 बच्चे

2008 में जब स्कूल की शुरुआत हुई तो पहले 17 बच्चे ही आते थे। आज तीन क्लासों में 156 छात्र-छात्राएं पढ़ रही हैं। जिसमें छात्राओं की संख्या 80 है तो वहीं, 76 छात्र पढ़ रहे हैं। अब्दुल कुद्दूस ने बताया कि कटरी का उच्च प्राथमिक विद्यालय मात्र एक स्कूल है जहां एक अप्रैल को एक ही दिन में दाखिले हो जाते हैं। दो अप्रैल को हम दाखिला लें इसके लिए जगह तक नहीं बचती। उन्होंने बताया कि चाहे बाढ़ आए, आंधी तूफान आए लेकिन विद्यालय कभी भी शिक्षक बिना नहीं रहा।

नहीं होती किताबों की कमी

कुद्दूस ने बताया कि सरकारी स्कूल राज्य सरकार की ओर से आने वाली किताबों के भरोसे रहते हैं। लेकिन हम हर कक्षा के बच्चों के लिए पहले से ही किताबों का सेट तैयार कर लेते हैं। जो बच्चा अगले क्लास में जाता है उसकी किताबों को जमा कराते हैं और फिर उन्हें नए बच्चों को दे देते हैं। स्कूल में ही लाइब्रेरी बनी है जहां एकांत माहौल में जाकर बच्चे पढ़ सकते हैं। यहां बच्चों को खेलने के लिए सामान भी है। जिसका उपयोग बच्चे कर सकते हैं।

स्कूल को संवारने के लिए लगा दी सैलरी

सरकारी स्कूल को कान्वेंट स्कूलों की तरह व्यवस्थित करने के लिए विद्यालय की प्रधानाचार्य शशी मिश्रा और सहायक अध्यापक अब्दुल कुद्दूस ने अपनी सैलरी से हिस्सा निकालकर स्कूल में लगाया है। अभी तक स्कूल की ग्रीनरी और सौदर्यीकरण में यहां के शिक्षकों ने लाखों रुपये अपने पास से खर्च कर दिए। जिसे यह लोग राष्ट्र निर्माण में योगदान बताते हैं।

प्रधानाचार्य शशि मिश्रा को मिले अवार्ड

कन्या शिक्षा और सुरक्षा के लिए 2014 में मलाला पुरस्कार राज्य सरकार द्वारा दिया गया।

खंड शिक्षा अधिकारी कानपुर द्वारा 2019 में राज्य अध्यापक पुरुस्कार से सम्मानित

उत्तर प्रदेश चीफ सेकेट्री द्वारा सम्मान

यह शिक्षक कार्यरत

शशि मिश्रा, प्रधानाचार्य

अब्दुल कुद्दूस खान, सहायक अध्यापक

कल्पना सिंह, सहायक अध्यापक

विजय कुमार यादव, सहायक अध्यापक

फिरदौस जहां, सहायक अध्यापक

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