नशा मुक्त समाज बनाने में छात्रों का होता है बड़ा योगदान: Gyanesh Pal

Update: 2024-10-10 10:55 GMT
Sitapur सीतापुर। जिले की सिधौली तहसील क्षेत्र के अन्तर्गत स्थित श्री वामन माध्यमिक विद्यालय बौना भारी के परिसर में नशा मुक्ति को लेकर एक कार्य क्रम क्षेत्र के समाज सेवी ज्ञानेश पाल धनगर के द्वारा आयोजित किया गया। कार्यक्रम में छात्रों ने नशा मुक्त समाज बनाने के लिए नशा मुक्ति अभियान के सच्चे संवाहक बनने का प्रेरक संकल्प ग्रहण किया। इस मौके पर समाज सेवी ज्ञानेश पाल धनगर ने छात्रों को स्वयं नशे से दूर रहने के साथ साथ समाज को नशा मुक्त बनने का संकल्प दिलाया।समाजसेवी ने कार्य क्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि नशा करने वाले व्यक्ति का सामाजिक आर्थिक और शारीरिक पतन हो जाने से जीवन पूर्ण रूप से नष्ट-भृष्ट,मिटने की कगार पर पहुंच जाता है।
उन्होंने नशे पर व्यापक प्रभावी नियंत्रण के लिए युवा पीढ़ी को शुरुआत से ही नशे से दूर रहने की समझाइश देकर कहा कि नशा मुक्त समाज बनाने में छात्रों का बड़ा योगदान होता है विद्यार्थी नशा मुक्ति के सच्चे तथा कर्मठ संवाहक होते हैं।नशा मुक्त समाज बनाने में स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों का बड़ा योगदान होता है। इसके लिए सदैव अभियान चलाने की आवश्यकता जताते हुए कहा कि नशा एक ऐसी बुराई है जो हमारे समूल जीवन को नष्ट कर देती है।नशे की लत से पीड़ित व्यक्ति
परिवार
के साथ साथ समाज पर भी बोझ बन जाता है। आज कल युवा पीढ़ी सबसे ज्यादा नशे की लत से पीड़ित है।
सरकार इन पीड़ितों को नशे के चुंगल से छुड़ाने के लिए नशा मुक्ति अभियान चलाती है,शराब और गुटखे पर रोक लगाने के प्रयास करती है।नशे के रूप में लोग शराब,गाँजा,जर्दा, ब्राउन शुगर,कोकीन,स्मैक आदि मादक पदार्थों का प्रयोग करते हैं,जो स्वास्थ्य के साथ सामाजिक और आर्थिक दोनों लिहाज से ठीक नहीं है। नशे का आदी व्यक्ति समाज की दृष्टी से हेय हो जाता है और उसकी सामाजिक क्रियाशीलता शून्य हो जाती है, फिर भी वह व्यसन को नहीं छोड़ता।
ध्रूमपान से फेफड़े में कैंसर होना संभावित होता है तो वहीं कोकीन,चरस, अफीम लोगों में उत्तेजना बढ़ाने का काम करती है, जिससे समाज में नित नए अपराध और गैरकानूनी हरकतों को बढ़ावा मिल रहा है। इन नशीली वस्तुओं के उपयोग से व्यक्ति पागल और सुप्तावस्था में चला जाता है।तम्बाकू के सेवन करने वाले को तपेदिक निमोनिया और साँस की बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इसके सेवन से जन और धन दोनों की हानि होती है।हिंसा,बलात्कार, चोरी आत्महत्या आदि अनेक अपराधों के पीछे नशा एक बहुत बड़ी वजह है।
प्रायः शराब पीकर गाड़ी चलाते हुए एक्सीडेंट करना, शादी शुदा व्यक्तियों द्वारा नशे में अपनी पत्नी से मार पीट करना आम बात हो गई है। मुँह,गले व फेफड़ों का कैंसर, ब्लड प्रैशर, अल्सर, यकृत रोग, अवसाद एवं अन्य अनेक रोगों का मुख्य कारण विभिन्न प्रकार का नशा है। भारत में केवल एक दिन में ग्यारह करोड़ सिगरेट फूंके जाते हैं, इस तरह देखा जाय तो एक वर्ष में पचास अरब का धुआँ उड़ाया जाता है।
कार्यक्रम का सम्बोधित करते हुए विद्यालय के प्रधानाचार्य विजय कुमार मौर्य ने कहा कि आज के दौर में नशा फैशन बन गया है। प्रति वर्ष लोगों को नशे से छुटकारा दिलवाने के लिए तीस जनवरी को नशा मुक्ति संकल्प और शपथ दिवस, इकतिस मई को अन्तर्राष्ट्रीय ध्रूमपान निषेध दिवस, छब्बिस जून को अन्तर्राष्ट्रीय नशा निवारण दिवस और दो से आठ अक्टूबर तक भारत में मद्य निषेध दिवस मनाया जाता है।मगर हकीकत में यह दिवस कागजी साबित हो रहे हैं। वर्तमान में देश के बीस प्रतिशत राज्य नशे की गिरफ्त में हैं। इस नशा खोरी में देश का युवा वर्ग सर्वाधिक शामिल है।
मनोचिकित्सकों का कहना है कि युवाओं में नशे के बढ़ते चलन के पीछे बदलती जीवन शैली,परिवार का अनावश्यक दबाव,परिवार के झगड़े,इन्टरनेट का अत्यधिक उपयोग,एकाकी जीवन,परिवार से दूर रहने, पारिवारिक कलह जैसे अनेक कारण हो सकते हैं। आजादी के बाद देश में शराब की खपत साठ से अस्सी गुना अधिक बढ़ी है। यह भी सच है कि शराब की बिक्री से सरकार को एक बड़े राजस्व की प्राप्ति होती है।इसलिए सरकार नशा मुक्ति को लेकर समय-समय पर अभियान तो चलती है परंतु इसके लिए अधिक गंभीर नहीं है। इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य विजय कुमार मौर्य सहायक अध्यापक राजाराम,अनूप,आशीष मौर्य,ज्ञानेश,छात्र,रूपेश कुमार,जितेंद्र कुमार,सोनू कुमार,रवि कपिल दीपांशी रानी,कामिनी,संजना,शांति अरविंद कुमार,शिवम,आदि तमाम छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।
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