छात्रसंघ जरूरी मगर प्रत्याशी और समर्थक भी सही होने चाहिए

Update: 2023-01-19 10:29 GMT

वाराणसी न्यूज़: स्कूलों से निकलकर आने वाले युवा भी छात्रसंघ चुनावों को जरूरी मानते हैं. स्नातक में विभिन्न वर्षों और सेमेस्टरों की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थी मानते हैं कि विश्वविद्यालय और महाविद्यालय में छात्रसंघों का होना जरूरी है. हालांकि उनका यह भी मानना है कि सही प्रत्याशी और उनके समर्थकों को इस लड़ाई में उतरना चाहिए.

गई छात्रसंघ की सार्थकता पर संवाद शृंखला में शामिल युवा खुलकर अपना पक्ष रख रहे हैं. काशी विद्यापीठ के मानविकी संकाय में जुटे बीए द्वितीय और तृतीय वर्ष की छात्राओं ने इस मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखी. बीए द्वितीय वर्ष की इन्नमा खान कहती हैं कि युवाओं की आवाज उठाने के लिए छात्रसंघ बेहद जरूरी है मगर यहां दावा करने वाले प्रत्याशियों की भी स्क्रीनिंग होनी चाहिए. बड़ी गाड़ियों, बैनर-पोस्टर लेकर चलने वालों को यहां जगह नहीं देनी चाहिए.

अलीजा अख्तर भी इन्नमा की बातों से इत्तेफाक रखती हैं. उनका मानना है कि छात्रसंघ को किसी भी हाल में कक्षाएं प्रभावित करने की छूट नहीं होनी चाहिए. तृतीय वर्ष के अमन कुमार वर्मा, अंकिता सिंह, ज्योति चौरसिया के अलावा संकाय प्रतिनिधि पद के दावेदार विकास मणि पाल का कहना है कि छात्रसंघों में प्रेसिडेंशियल डिबेट की पुरानी परंपरा को पुनर्जीवित करना चाहिए. इससे सही और गलत प्रत्याशी की पहचान छात्र खुद-ब-खुद कर लेंगे.

स्नातक द्वितीय वर्ष की कृष्णा साहू, वर्षा पांडेय, रिया और तनु कुमारी भी परिसर में बीते दिनों हुई घटनाओं को गलत बताती हैं. हालांकि इन छात्राओं ने यह भी कहा कि छात्रसंघ न होने से विश्वविद्यालय प्रशासन, कर्मचारी आदि मनमानी करने लगेंगे. एकजुट छात्रों का दबाव सकारात्मक काम भी करता है. जागृति पांडेय, उज्ज्वल पांडेय आदि विद्यार्थियों ने भी इस मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखी.

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