नोएडा न्यूज़: बाइक बोट प्रकरण में पांच लाख के इनामी बिजेन्द्र हुड्डा की गिरफ्तारी पर लगी एक माह की रोक में ईओडब्ल्यू के उच्च न्यायालय में पैरवी ना करने पर एसटीएफ ने सवाल उठाए हैं. एसटीएफ ने इसकी रिपोर्ट डीजीपी को भेजी है.
एसटीएफ ने रिपोर्ट में कहा गया है कि गौतमबुद्धनगर कोर्ट में बिजेन्द्र हुड्डा ने अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दी थी. इस अर्जी पर न्यायालय ने आरोपी विजेंद्र हुड्डा को अग्रिम जमानत प्रदान नहीं की बल्कि अभियुक्त को एक माह तक गिरफ्तार न करने और विवेचना में विवेचनाअधिकारी को सहयोग प्रदान करने हेतु आदेश जारी किया है. वहीं, इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में कोई अपील ईओडब्ल्यू ने नहीं की, जबकि उच्च न्यायालय में आवेदन किया जाना चाहिए था.
यदि इस मामले में आवेदन नहीं किया गया तो बिजेन्द्र एक माह बाद अग्रिम जमानत प्राप्त कर सकता है. यह मामला इतना गंभीर है कि इस मामले में पूर्व में गिरफ्तार किए गये आरोपियों को अभी तक हाईकोर्ट से भी जमानत नहीं मिली है. इन आठों आरोपियों करणपाल, रविन्द्र, रेखा राय, लोकेन्द्र, सचिन भाटी, पवन, ललित, बद्रीनारायण तिवारी को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था. एसटीएफ के इस पत्र की जानकारी मिलने के बाद से हड़कंप मचा है.
दीप्ती-भूदेव पकड़ से दूर घोटाले में लंबे समय से फरार चल रहे तीन आरोपियों पर पांच-पांच लाख का इनाम शासन ने घोषित किया था. जिसमें कंपनी के मालिक संजय भाटी की पत्नी दीप्ती बहल और भूदेव अभी तक पुलिस की पकड़ से दूर हैं, जबकि बिजेन्द्र सामने आ चुका है, जिसकी गिरफ्तारी पर ही रोक लगाकर विवेचना में सहयोग का आदेश हुआ था.
115 लग्जरी कार लापता बाइक बोट कंपनी ने भी पैसे और वाहन लेकर रखने वालों के खिलाफ केस दर्ज कराने की पैरवी तेज कर दी. कंपनी अधिवक्ता पवन कसाना ने बताया कि कंपनी से पैसे लेने के बाद भी जमीनों की रजिस्ट्री ना करने और पैसे वापस ना लौटाने वाले 22 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराने के लिए पुलिस को तहरीर दी है. कंपनी के नाम पर रजिस्टर्ड 115 लग्जरी कारें और सात हजार कारें अभी भी लापता हैं. जिन्हें वापिस लेने के लिए भी नोटिस जारी किए गए हैं.