भारतीय स्टेट बैंक का एटीएम विगत 10 दिनों से तकनीकी खराबी के कारण शो पीस बना हुआ

ग्राहकों को हो रही भारी परेशानी

Update: 2024-04-13 06:44 GMT

कानपूर: कस्बा स्थित भारतीय स्टेट बैंक की शाखा के पास पास लगा एटीएम विगत 10 दिनों से तकनीकी खराबी के कारण शो पीस बना हुआ है. सहालग का समय होने के कारण ग्राहक एटीएम पर पहुंच रहे हैं लेकिन शटर बंद देख वह मायूस होकर बैंक के भीतर कतार लगाने को विवश हैं.

कस्बा में एटीएम अक्सर बंद रहने से बैंक उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. बाजार में एटीएम से व्यापारियों, छात्र छात्रों राहगीरों और मजदूरों यात्रियों आम लोगों को पैसा निकालने में सहूलियत रहती है, लेकिन आए दिन एटीएम बंद रहने से लोगों को दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं. क्रियाशीलता से समय भी एटीएम बैंक के साथ ही खुलता और बंद कर दिया जाता है जबकि उसके माध्यम से ग्राहकों को 24 घंटे बैंकिंग सेवा मिलनी चाहिए. होली का त्योहार खत्म होने के बाद एटीएम के बाहर लोगों की भीड़ देखने को मिली जबकि एटीएम में रुपये ही शेष नहीं बचे थे. बैंक शाखाओं में सुविधाओं का भी अभाव बना रहता है. तहसील क्षेत्र के आस पास करीब 140 गांव से हजारों ग्राहक लेन देन के लिए बैंक आते जाते हैं लेकिन उनको सुविधाएं नहीं मिलती हैं. और तो और ग्राहकों के पीने के लिए पानी तक की व्यवस्था नहीं रहती है. बैंक में स्ट्रांग रूम के पास रखे वाटर कूलर तक ग्राहकों को जाने नहीं दिया जाता है.

साबरमती एक्सप्रेस में यात्री की हुयी मौत: साबरमती एक्सप्रेस में कैंसर पीड़ित यात्री की मौत हो गई. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे. वाराणसी दिखाने के लिए घरवालों के साथ गए थे. वहां से वापस लौटते वक्त रास्ते में घटना हो गई. सूचना पर उरई में आरपीएफ, जीआरपी ने गाड़ी को अटेंड कर आवश्यक कार्रवाई की. इंस्पेक्टर आरपीएफ अभिषेक यादव व सब इंस्पेक्टर देशराज ने बताया कि पूछताछ में पता चला है कि वह रुटीन चेकअप कराने गए थे. कुछ समय पहले आपरेशन भी हो चुका था.

डकोर के गोरन निवासी चंद्रशेखर(42) पुत्र रघुवीर कैंसर पीड़ित है. वह अपने बेटे अभिषेक के साथ वाराणसी स्थित कैंसर संस्थान में डाक्टरों को दिखाने के लिए दिन पहले गए थे. वहां डाक्टरों से दवा लेने के बाद वह 19168 साबरमती एक्सप्रेस, जो वाराणसी से अहमदाबाद जाती हैेे के जनरल कोच से बैठ कर उरई आ रहे थे. सुरक्षा कर्मियोें के अनुसार रास्ते में उनकी अचानक हालत बिगड़ गई. परिजन कुछ समझ पाते, उसके पहले उनकी मौत हो गई.

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