लखनऊ। यूपी में दो सीटों पर हो रहे एमएलसी के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के सामने विपक्ष का वोट पाने की चुनौती है। उसने इस चुनाव में पिछड़ा दलित कार्ड खेल कर दो उम्मीदवार उतारे हैं। हालंकि सपा के पास पर्याप्त संख्या नहीं है फिर भी वह असंभव लक्ष्य पाने के लिए जोर आजमाइश कर रही है।
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि सपा के पास भले ही जीतने के लिए 202 विधायकों के मत न हों लेकिन वह इस चुनाव के जरिए अति पिछड़ों व दलितों को यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि उन्हें हिस्सेदारी सपा ही देगी। 403 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा के 255 सदस्य हैं। भाजपा के सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) की 13 व निषाद पार्टी की छह सीटें हैं। सपा के 109 विधायक हैं जबकि उनके गठबंधन में शामिल रालोद के नौ विधायक हैं।
कुछ राजनीतिक पंडित बताते हैं कि कांग्रेस की स्थित इस मामले में अभी स्पष्ट नहीं है कि वह किसे वोट करेगी। कांग्रेस के प्रवक्ता अंशू अवस्थी कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी अभी इस पर विचार कर रही है, शीघ्र ही राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी एवं नेतृत्व निर्णय लेगा।
सपा के साथ गठबंधन में 2022 का चुनाव लड़ चुके ओम प्रकाश राजभर ने अभी पत्ते नहीं खोले हैं। रालोद क्या कदम उठाएगी यह देखना होगा। रालोद इस समय कांग्रेस से नजदीकियां बढ़ाने में लगी है। हालांकि रालोद के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे कहते हैं कि सपा से उनका गठबंधन है, हम उन्हीं का समर्थन करेंगे। लेकिन रालोद के अंदर खाने निकाय चुनाव में सपा का सही ढंग से साथ न देना कार्यकर्ताओं को अखर रहा है। वह दबे स्वर में ही सपा का विरोध कर रहे हैं।
रालोद के एक नेता का कहना है कि सपा ने अंतरआत्मा सुनने की बात कही है। जिसका अंतरमन जो गवाही देगा वही करेगा। सपा का निकाय चुनाव में हमारे साथ अच्छा व्यवहार नहीं रहा है। इसके कारण हमारे उम्मीदवारों को हार मिली है। इसलिए सोचना होगा।
सपा को उम्मीद है कि भाजपा के लोग क्रास वोटिंग कर सकते हैं। इसलिए सपा दोनो उम्मीदवारों ने अंतरआत्मा की आवाज सुनने की बात कहते हुए एक मार्मिक अपील भी की है। सपा ने राम जतन राजभर और रामकरन निर्मल को एमएलसी चुनाव में उतारा है। दोनों प्रत्याशियों ने कहा कि समाजवादी पार्टी पिछड़ों और दलितों के उत्थान के लिए काम करती है और उनको बढ़ावा देती है। इसलिए सभी विधान सभा सदस्यों को समाजवादी प्रत्याशियों का इस चुनाव में समर्थन करना चाहिए। दोनों ने ये पत्र केशव प्रसाद मौर्य, जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद, अपना दल (सोनेलाल) के आशीष पटेल, सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर, सरकार के मंत्री अनिल राजभर, दिनेश खटीक और लक्ष्मी नारायण चौधरी को लिखा है।