पं. बालकृष्ण भट्ट को याद करना सामाजिक दायित्व

Update: 2023-10-10 05:40 GMT

इलाहाबाद: रजा फाउंडेशन की ओर से अंजुमन-ए-रूहे अदब के सभागार में ‘इलाहाबाद संवाद’ की पहली संगोष्ठी हुई. अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ आलोचक व कवि प्रो. राजेन्द्र कुमार ने कहा कि साहित्यकार पं. बालकृष्ण भट्ट समाज के चेतना पुरुष थे. पं. बालकृष्ण भट्ट को याद करना ऐतिहासिक और सामाजिक दायित्व है. बालकृष्ण भट्ट ने 33 साल तक हिंदी प्रदीप का संपादन किया. मुख्य वक्ता प्रो. समीर कुमार पाठक ने कहा कि बालकृष्ण भट्ट ने भारतीयता की संकीर्ण अवधारणा का विरोध किया.

आलोचक डॉ. कुमार वीरेन्द्र ने कहा कि आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की ‘सरस्वती’ से कहीं ज्यादा प्रखर चेतना बालकृष्ण भट्ट के ‘हिंदी- प्रदीप’ का था. उनका ध्यान साहित्य सेवा से अधिक देश-सेवा और सामाजिक समस्याओं की ओर था. भाषा को लेकर बालकृष्ण भट्ट में कुछ अंतर्विरोध भी हैं, पर उनका संदर्भ सांप्रदायिक नहीं है. संचालन डॉ. सूर्य नारायण ने किया. स्वागत विवेक निराला, बसंत त्रिपाठी, मुकेश यादव ने किया. इस मौके पर वरिष्ठ कवि हरीश चंद पांडे, डॉ. मुकेश सिंह, डॉ. अमित कुमार पांडेय, डॉ. अमरजीत राम, डॉ. जी गणेशन मिश्र, डॉ. सौरभ सिंह, डॉ.अरविंद यादव, विप्लव, चंद्रशेखर कुशवाहा, जुगेश, अनुज, मनीष मौजूद रहे.

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