श्रीकृष्ण ने Govardhan पर्वत को अपनी ऊंगली पर धारण कर भंग किया इंद्र का मान

Update: 2024-12-10 13:39 GMT
Kushinagarराजापाकड़/कुशीनगर: इंद्र को अपनी सत्ता और शक्ति पर घमंड हो गया था। उसका गर्व दूर करने के लिए भगवान ने ब्रज मंडल में इंद्र की पूजा बंद कर गोवर्धन की पूजा शुरू करा दी। इससे गुस्साए इंद्र ने ब्रज मंडल पर भारी बारिश करायी। प्रलय से लोगों को बचाने के लिए भगवान ने कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया। सात दिनों के बाद इंद्र को अपनी भूल का एहसास हुआ।
यह बातें वृन्दावन धाम से पधारे कथावाचक आचार्य सुदामा जी महाराज ने कही। वह तुलसी आवास विकास कालोनी फेज टू पडरौना के गोस्वामी तुलसीदास पार्क में आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन सोमवार की सायं श्रोताओं को पूतना वध, सकटासुर उद्धार, तृणावर्त उद्धार, माखनचोरी लीला, कालिया मर्दन, लीला गोवर्धन लीला आदि की कथा सुना रहे थे। कथावाचक ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने गृह लीलाएं की जब वे मात्र छह दिन के थे, तब चतुर्दशी के दिन पूतना आई। जब भगवान तीन माह के हुए तो करवट उत्सव मनाया गया तभी शकटासुर आया। भगवान ने संकट भंजन करके उस राक्षस का उद्धार किया। इसी तरह बाल लीलाएं,
माखन चोरी लीला
, ऊखल बंधन लीला, यमलार्जुन का उद्धार आदि दिव्य लीलाएं की।
श्रीकृष्ण की प्रत्येक लीला दिव्य है और हर लीला का आध्यात्मिक महत्व है। भगवान श्रीकृष्ण गोवर्धन पर्वत लीला का वर्णन करते हुए कहा की भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी ऊंगली पर धारण किया है और इन्द्र का मान भंग किया। गोवर्धन की झांकी सहित कथा का वर्णन सुन श्रोता जयकारा लगा उठे। भगवान को छप्पन भोग लगाने व आरती के साथ कथा का विश्राम हुआ। संगीतमई कथा में सुदेश मिश्र, विनय शर्मा व विनीत त्रिवेदी आदि कलाकारों ने संगीत पर संगत की। मुख्य यजमान दिवाकर मिश्र, मंजू मिश्र, सुप्रिय मालवीय, बृजेश कुमार मिश्र, आशुतोष मिश्र, मनोज कुमार पांडेय, कृष्ण मोहन मिश्र, सुनील कुमार मिश्र, आलोक कुमार मिश्र, पंकज कुमार मिश्र, नीलिमा, अवि, सूरज, अतुल, ऋद्धिमा, कौस्तुभ, परिणिति, पायल, संजय चौबे, तेज प्रताप सिंह आदि श्रद्धालु मौजूद रहे।
Tags:    

Similar News

-->