गाजियाबाद (आईएएनएस)| सीमा पार तत्वों द्वारा समर्थित कथित 'धर्म परिवर्तन' और 'आतंकवाद' में ऑनलाइन गेमिंग के हेरफेर की खबरों के बीच पुलिस का कहना है कि इस तरह की गतिविधियों के लिए खेल से जुड़े प्लेटफॉर्म के जरिए खिलाड़ियों की 'जीत' की पेशकश की जा रही है।
दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस तरह के कृत्यों में लिप्त संगठन झूठी समावेशिता, गेम चैट में उपदेश, गेम से संबंधित प्लेटफॉर्म के माध्यम से भर्ती, इन-गेम फायदे की पेशकश जैसी तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं।
ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया एक विविध और परस्पर जुड़ी हुई जगह प्रदान करती है, जहां लाखों प्लेयर्स वर्चुअल एडवेंचर्स के लिए अपने जुनून को साझा करने के लिए इकट्ठा होते हैं। हालांकि, सौहार्द और उत्साह के बीच, कथित ऑनलाइन गेमिंग धर्म परिवर्तन रैकेट एक ' स्पिरिटेड (उत्साही) प्ले' नहीं लगता है।
धार्मिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कथित आरोपी भ्रामक योजना के माध्यम से बिना सोचे-समझे खिलाड़ियों की कमजोरियों को लक्षित करते हैं और गेमिंग के लिए उनके प्यार का नाजायज फायदा उठाते हैं।
पुलिस के अनुसार, ऑनलाइन गेमिंग धर्म रूपांतरण रैकेट में ऐसे लोग या संगठन शामिल हैं, जो भ्रामक रणनीति और जोड़ तोड़ तकनीकों के माध्यम से गेमर्स को विशिष्ट धार्मिक विश्वासों में परिवर्तित करना चाहते हैं।
ये स्कैमर धार्मिक विचारधाराओं को पेश करने और खिलाड़ियों को कन्वर्ट का प्रयास करने के लिए गेमिंग कम्युनिटी के भीतर बने स्ट्रांग बॉन्ड्स का लाभ उठाते हुए ऑनलाइन गेमिंग की व्यापक प्रकृति का फायदा उठाते हैं।
विवरण साझा करते हुए शीर्ष पुलिस ने आगे कहा कि झूठी समावेशिता का उपयोग करके, स्कैमर्स दोस्ताना और समावेशी खिलाड़ियों की आड़ में गेमिंग समुदायों में घुसपैठ कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि वे बातचीत में शामिल होते हैं, गठबंधन बनाते हैं और धीरे-धीरे धार्मिक अवधारणाएं या चर्चाएं पेश करते हैं।
साइबर सेल के एक पुलिस अधिकारी ने कहा, वे आध्यात्मिकता, जीवन के उद्देश्य, या नैतिकता के बारे में आकस्मिक बातचीत शुरू कर सकते हैं, अंतत: बातचीत को अपने विशिष्ट धार्मिक विश्वासों की ओर ले जा सकते हैं। गहरे अर्थ या कनेक्शन की खोज करने वाले खिलाड़ियों को लक्षित करते समय यह विशेष रूप से प्रभावी हो सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि स्कैमर्स खिलाड़ियों से संपर्क करने के लिए विशिष्ट गेम के लिए समर्पित ऑनलाइन मंचों, सोशल मीडिया समूहों और गेमिंग प्लेटफॉर्म का फायदा उठाते हैं। वे बातचीत शुरू करने के लिए नकली प्रोफाइल बना सकते हैं या साथी गेमर्स के रूप में पोज दे सकते हैं और धीरे-धीरे धार्मिक अवधारणाओं को पेश कर सकते हैं, खिलाड़ियों को अपने विश्वास को और जानने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं।
कुछ स्कैमर्स खिलाड़ियों को इन-गेम फायदों का वादा करके लुभाते हैं। वे किसी विशेष धर्म को अपनाते हैं या किसी विशिष्ट धार्मिक समुदाय में शामिल होते हैं तो उन्हें दुर्लभ आइटम, पावर-अप या विशेष विशेषाधिकार की पेशकश करते हैं।
अधिकारी ने कहा, यह चालाकी की रणनीति खिलाड़ियों की प्रगति और प्रतिस्पर्धा की इच्छा का शिकार करती है, उन्हें वर्चुअल पुरस्कारों के लिए रूपांतरण पर विचार करने के लिए मजबूर करती है।
हाल ही में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक ऑनलाइन गेमिंग धर्म परिवर्तन रैकेट का भंडाफोड़ किया गया था। यह तब सामने आया, जब एक नाबालिग पीड़ित के पिता को पता चला कि उनका बेटा जिम जाने और प्रार्थना के बजाय मस्जिद जाने के बारे में झूठ बोल रहा था।
जांच तब शुरू हुई जब नाबालिग लड़के के पिता ने पुलिस से शिकायत की कि उनका बेटा एक गेमिंग ऐप के माध्यम से एक व्यक्ति के संपर्क में आया था और उसे गाजियाबाद के संजय नगर में मस्जिद में जाने के लिए प्रेरित किया गया था।
30 मई को एक मस्जिद के मौलवी अब्दुल रहमान और एक ठाणे निवासी शाहनवाज खान के खिलाफ कविनगर थाना, गाजियाबाद में मामला दर्ज किया गया था। धर्मातरण रैकेट की जांच शुरू करने के बाद यह मामला दर्ज किया गया था।
अब्दुल रहमान, संजय नगर में एक मस्जिद समिति के सदस्य, जो मूल रूप से बलिया के हैं, को बाद में कम से कम चार युवकों के धर्म परिवर्तन में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था। मस्जिद कमेटी ने पुलिस को बताया है कि रहमान ने कुछ महीने पहले पैनल छोड़ दिया था, लेकिन अभी तक दावे का कोई सबूत पेश नहीं किया है।
पुलिस के अनुसार, शाहनवाज खान भी कम से कम छह ईमेल आईडी संचालित करता पाया गया है, जिनमें से एक में इनबॉक्स में पाकिस्तान से आए कुछ ईमेल शामिल हैं। अब, एनआईए और आईबी सहित जांच एजेंसियों को यह पता लगाने के लिए लगाया गया है कि क्या यह नए तौर-तरीकों के तहत चल रहा एक आतंकी गठजोड़ था।
एक अन्य मामले में दिल्ली पुलिस ने हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी के तुर्कमान गेट इलाके में स्थित एक आश्रय गृह के भीतर चल रहे एक बड़े धर्मातरण रैकेट का पदार्फाश किया था। आश्रय गृह के केयरटेकर संदीप सागर द्वारा दायर शिकायत के बाद मुख्य आरोपी मोहम्मद कलीम को 9 जून को गिरफ्तार किया गया था। सागर ने आरोप लगाया कि कलीम उस पर इस्लाम कबूल करने का दबाव बना रहा था, सरकारी नौकरी और वित्तीय प्रोत्साहन जैसे प्रलोभन दे रहा था। इसके बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की।
एक पूर्व अधिकारी ने कहा कि गाजियाबाद धर्मातरण रैकेट और कलीम की गिरफ्तारी के बाद, ऐसा लगता है कि उनके पीछे कोई है, जो सीमा पार या कहीं और से काम कर रहा है।
--आईएएनएस