आगरा न्यूज़: 135.35 करोड़ फूंकने के बाद भी खूबसूरत ताजमहल के पास गंदगी का अंबार है. आगरा स्मार्ट सिटी के तहत पेयजल की तरह सीवर सिस्टम का भी सुधार करना था. मुख्य एरिया बेस्ड डेवलपमेंट (एबीडी) के तहत चुने गए नौ वार्डों, एक गांव और छावनी के आंशिक हिस्से में पुरानी जर्जर लाइनों को बदलकर नई लाइन बिछानी थी और उन्हें सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ना था लेकिन इस योजना पर करीब 135.35 करोड़ रुपये खर्च तो हो गए हैं लेकिन क्षेत्र की दशा में कोई सुधार नहीं हुआ है.
शहर की सीवर व्यवस्था का बुरा हाल है. ताजगंज की तंग गलियों में गंदगी रहती है. आगरा स्मार्ट सिटी योजना के तहत संपूर्ण विकास के लिए उन क्षेत्रों को चुना गया था जहां पर्यटकों का फ्लो अधिक रहता है. ताजमहल और आगरा किला के आसपास के वार्डों का चुनाव हुआ था. इसलिए यहां पानी की व्यवस्था, सीवर व्यवस्था, गलियों में पक्का करना, स्ट्रीट लाइट, स्वास्थ्य केंद्र, सफाई व्यवस्था करने आदि कार्य कराए गए थे.
142.53 करोड़ जलापूर्ति के लिए खर्च 24 घंटे जलापूर्ति के लिए जहां 142.53 करोड़ खर्च किए थे तो वहीं सीवर व्यवस्था के सुधार के लिए 135.35 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट तैयार किया था. अब क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि विकास कार्यों के नाम पर दो तीन वर्ष तक गलियों को तो खोद कर डाला गया था लेकिन इस कसरत का क्षेत्र के जीवन स्तर पर कोई असर दिखाई नहीं दे रहा है. सीवर की व्यवस्था जस की तस की है.
एबीडी में ये इलाके हैं शामिल नगला मेवाती, धांधूपुरा, विभव नगर, कटरा फुलेल, तेलीपाड़ा, रावतपाड़ा, मोतीगंज, पीपलमंडी, कलाल खेरिया, आगरा कैंट (आंशिक).
ताजगंज क्षेत्र में आगरा स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत क्षेत्र की सभी पुरानी सीवर लाइनों को बदलना था. नई लाइनों के साथ नए सीवर के मैनहोल और चैंबर बनाने थे. तमाम गलियों में खुदाई भी हुई. कहीं सीवर लाइनें बदली भी गई हैं लेकिन इसका नतीजा शून्य ही रहा है. शोभाराम राठौर, पूर्व पार्षद
मोती गंज, पीपल मंडी क्षेत्र में सीवर की व्यवस्था का बुरा हाल है. स्मार्ट सिटी के तहत तो यहां कोई काम हुआ ही नहीं है. पुरानी लाइनें हैं, अधिकांश लाइनें तो नालों में पंचर कर दी गई हैं. चूहों की वजह से सीवर के मैनहोल के कवर क्षतिग्रस्त हैं. गलियों में सीवर उफनता रहता है.
राकेश जैन, पार्षद