डीआईओएस और बीएसए आफिस की मिलीभगत से चल रहा बिना मान्यता के स्कूल, छात्रों के भविष्य से बड़ा खिलवाड़
मेरठ क्राइम न्यूज़: बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की दरियादिली से विद्यालय संचालकों की मनमानी चरम पर है। शहर समेत ग्रामीण क्षेत्रों में कोचिंग की आड़ में आठवीं तक मान्यता वाले विद्यालय 10वीं व 12वीं की कक्षाएं संचालित कर रहे है। इतना ही नहीं गौर करने वाली बात यह है कि कुछ स्कूलों के पास तो आठवीं तक की मान्यता भी नहीं हैं, लेकिन वह 12वीं तक के स्कूलों को संचालित कर रहे हैं। शिक्षा के मंदिर में अधिकारियों की मिलीभगत से जहां स्कूल संचालक मोटी कमाई कर रहे हैं। वहीं, छात्रों के भविष्य के साथ खुलकर धोखा किया जा रहा है। जनपद में ऐसे स्कूलों की संख्या काफी है। जिनको आठवीं तक की मान्यता मिली है और इंटर तक कक्षाएं चला रहे हैं। कुछ स्कूल ऐसे हैं जिनके पास मान्यता नहीं और इंटर तक स्कूल चला रहे हैं। इस पूरे गोरखधंधे में नेटवर्क काम कर रहा है और इसमें शिक्षा विभाग के अधिकारियों की हिस्सेदारी है। इन स्कूलों में एडमिशन तो बच्चों के हो जाते हैं, लेकिन परीक्षा किसी मान्यता वाले स्कूल से कराई जाती है। डीआईओएस और बीएसए आॅफिस की इसमें खुलकर हिस्सेदारी चल रही है। शिक्षा विभाग की मिलीभगत से बिना विभागीय मान्यता के कई निजी स्कूल संचालित हो रहे हैं। जिनमें रिठानी स्थित प्रतिभा इंटरनेशनल स्कूल और जेएस पब्लिक स्कूल शामिल है। यहीं नहीं ऐसे और भी स्कूल संचालित किए जा रहे हैं
जिनके नाम सामने आना बाकी है। राज्य सरकार के सख्त आदेशों के बावजूद एक मान्यता से अलग-अलग स्थानों पर तीन-तीन स्कूल संचालित किए जा रहे हैं। इस तरह के प्रकरणों ने शिक्षा विभाग की कार्यशैली को सवालों के कठघरे में खड़ा कर दिया है। बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिलाते समय कई बिना मान्यता वाले स्कूलों की लूटमार का शिकार होना पड़ा रहा है। ऐसे स्कूलों में पांचवीं और आठवीं की मान्यता के बावजूद 10वीं और 12वीं के बच्चों को गुमराह कर दाखिला देकर मोटी रकम वसूली जा रही है। नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 लागू होने के बाद से बिना मान्यता प्राप्त कोई भी विद्यालय संचालित नहीं हो सकता। इस अधिनियम के तहत स्कूलों को मान्यता देने के भी प्रावधान किए गए हैं, इसमें शर्तों के उल्लंघन पर मान्यता वापस लेने का निर्देश है। सूत्रों की माने तो बेसिक व डीआईएस स्तर पर ऐसे स्कूलों की जांच करा उनपर कार्रवाई की जा सकती हैं, लेकिन सेटिंग के खेल में दोनों ही विभागों की ओर से कोई गौर इन स्कूलों पर नहीं किया जाता है।
इनका है कहना: क्षेत्रिय बोर्ड सचिव कमलेश कुमार का कहना है कि ऐसे विद्यालयों पर कार्रवाई संयुक्त शिक्षा निदेशक या फिर जिला विद्यालय निरीक्षक के स्तर पर की जाती है। क्योंकि स्कूलों को मान्यता वहीं से प्रधान की जाती है और अवैध स्कूलों के संचालन को जिला विद्यालय निरीक्षक कार्रवाई करते हैं। जिला विद्यालय निरीक्षक राजेश कुमार का कहना है कि आठवीं तक के विद्यालयों की मान्यता बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से दी जाती है। यदि आठवीं के किसी स्कूल में 12वीं तक की कक्षाएं चल रही है तो बीएसए को उसकी आठवीं तक की मान्यता रद कर देनी चाहिए। यदि कही ऐसा हो रहा है तो डीआईओएस स्तर पर भी कार्रवाई की जाएगी।