राम मंदिर को 24 घंटे खुला रखने के विषय पर संत समाज पूरी तरह से असहमत
24 घंटे खुला रखने पर संत समाज में असहमति
फैजाबाद: राम नवमी के पर्व पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आगमन की संभावना को ध्यान में रखकर दिनों तक राम मंदिर को 24 घंटे खुला रखने के विषय पर संत समाज पूरी तरह से असहमत हैं. श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपतराय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अभी इस विषय पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है बल्कि उनके पास सुझाव आ रहे हैं. उन्होंने यह कहकर गेंद दूसरे पाले में डाल दी कि पांच वर्ष के बालक स्वरुप को कितने समय तक जगाए रखा जा सकता है. इस पर समाज विचार करे. यही नहीं इस बारे में संत समाज की राय भी ली जा रही है.
श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास महाराज के उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास मानते हैं कि भीड़ बढ़ने पर दर्शन की समयावधि में वृद्धि पर विचार करना उचित है. फिर भी प्राण-प्रतिष्ठा प्राप्त भगवान के श्रीविग्रह की दिनचर्या का अपना शास्त्रत्त्ीय विधान है, उसका उल्लंघन अनुचित होगा. इसी तरह हरि गोपाल धाम के पीठाधीश्वर जगद्गुरु राम दिनेशाचार्य महाराज ने कहा कि प्राणवंत विग्रह कोई स्टेच्यू नहीं है कि मन चाहा व्यवहार किया जा सके. उनके जागरण से लेकर शयन तक की शास्त्रत्त्ीय विधि है. उसके विपरीत आचरण देवता के प्रति अवज्ञा का भाव प्रदर्शित करना है.
निर्धारित मर्यादा में ही किसी के लिए बदलाव संभवधार्मिक न्यास समिति के सदस्य व हनुमत निवास के महंत आचार्य मिथिलेश नंदिनी शरण ने कहा कि रामलला के उत्थापन से लेकर शयन तक की सनातन वैदिक पद्धति के लिए आचार संहिता का निर्माण पहले ही हो चुका है. रामलला जीवंत विग्रह के रूप में विराजित हैं तो उनके अनुरूप ही व्यवहार किया जाना चाहिए. उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह का संस्मरण भी साझा किया कि करीब 1983 में तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह का अयोध्या आगमन हुआ था. अफसरों ने मंदिर का पट खुलवाने का प्रयास किया लेकिन मंदिर प्रशासन नहीं तैयार हुआ.