बस्ती: स्वीकृत ओवरब्रिज का 2012 में केंद्रीय रेल मंत्रालय को बजट वापस हो गया था. 2014 में भाजपा की सरकार बनी तो एक बार फिर से रेलवे ओवरब्रिज की मांग उठने लगी. स्थानीय व्यापारियों से लेकर नागरिकों ने सांसद का घेराव किया और ज्ञापन दिया. केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने 2015 में रेलवे ओवरब्रिज की घोषणा कर दी. ओवरब्रिज फिर से पास हुआ. रेलवे की पिंक बुक में शामिल हुआ. लेकिन ओवरब्रिज का निर्माण शुरू होता, इससे पहले पिंक बुक से ओवरब्रिज डिलीट हो गया. ओवरब्रिज बनने की इस कवायद का परिणाम सिफर रहा और जाम का झाम बरकरार है.
केंद्र में भाजपा की सरकार बनी. एक वर्ग रेलवे ओवरब्रिज बनाने की पहल करने लगा. सांसद हरीश द्विवेदी से भी लगातार व्यापारी संपर्क में रहे. ज्ञापन देकर रेलवे पर ओवरब्रिज की मांग करते रहे. फिर से ओवरब्रिज का विरोध होगा, यह सोचकर सांसद भी कदम पीछे खींचते रहे. लेकिन उन्होंने बीच का रास्ता निकाला और रेलवे स्टेशन गेट से चीनी मिल होते हुए बरदहिया बाजार रोड तक ओवरब्रिज बनाने के लिए पत्र लिख दिया. 2015 में केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा बस्ती के दौरे पर आए. रेलवे स्टेशन रोड पर उनका कार्यक्रम हुआ. सांसद समेत अन्य जनप्रतिनिधियों व व्यापारियों ने ज्ञापन देकर रेल ओवरब्रिज की मांग रखी. मंच से केंद्रीय रेल राज्यमंत्री ने बस्ती में ओवरब्रिज की घोषणा कर दी. लेकिन फिर से करूआ बाबा चौक से पांडेय बाजार चुंगी तक ओवरब्रिज बनने का कुछ व्यापारियों ने विरोध किया. ओवरब्रिज का प्रयास शुरू हुआ तो पहल रंग लाई. मंत्री मनोज सिन्हा ने भी मंत्रालय को इस मांग को शामिल करने का निर्देश दिया.
जिसका परिणाम हुआ कि केंद्रीय बजट 2015-16 में रेलवे ओवरब्रिज पास हो गया. सरकार व जनप्रतिनिधियों ने बीच का रास्ता निकाला. नया प्रस्तावित ओवरब्रिज गेट संख्या-198 पर स्वीकृत हुआ, जो रेलवे स्टेशन के पहले गेट से शुरू होकर चीनी मिल होते हुए बरदहिया बाजार रोड पर मिलता. कुछ समय बीता तो यह ओवरब्रिज रेलवे की पिंक बुक में भी शामिल हो गया. सेतु निगम को पुल का स्टीमेट तैयार करने को कहा गया. ओवरब्रिज के लिए लगभग 50 करोड़ रुपये का स्टीमेट बना. इस दौरान रेलवे और सेतु निगम के बीच कुछ तकनीकी दिक्कतें रहीं कि रेलवे ओवरब्रिज बनने में देरी होने लगी. 2019-20 में रेलवे का यह ओवरब्रिज पिंकबुक से बाहर हो गया. इसका खुलासा एक व्यापारी के पत्र के जवाब में रेलवे के अधिकारी ने किया. पुल की घोषणा होने के छह वर्ष बाद एक बार फिर से परिणाम शून्य हो गया. जाम की समस्या अपनी जगह बरकरार है.