क्रांति गाथा 1857 की क्रांति को समर्पित है राजकीय संग्रहालय, पांच गैलरी में इतिहास

Update: 2023-05-05 07:53 GMT

मेरठ न्यूज़: क्रांतिवीरों ने 1857 में अंग्रेजी हुकूमत को चुनौती देकर देश को आजाद कराने की मुहिम मेरठ से शुरू की थी. शहीद स्तंभ शिलापट पर प्रथम स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के 85 सैनिकों के नाम लिखे हैं. संग्रहालय में 1857 की क्रांति के प्रमाण आज भी सुरक्षित हैं.

की स्मृति में स्मारक में अमर जवान ज्योति भी 24 घंटे सातों दिन प्रज्ज्वलित रहती है. शहीद मंगल पांडे की प्रतिमा भी यहां लगी है.

राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय में 1857 से 1947 तक के आजादी के आंदोलन के इतिहास की जानकारी मिलती है.

प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के उद्घोष में एक साधु का अहम योगदान माना जाता है. उनका विवरण भी यहां प्रदर्शित है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल सहित विभिन्न राजनेता इस संग्रहालय का अवलोकन कर चुके हैं. पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय एपीजे अब्दुल कलाम भी

2014 में यहां आए थे.

1995 में हुआ था निर्माण

मेरठ के संग्रहालय का निर्माण संस्कृति विभाग द्वारा 1995 में किया गया. संग्रहालय का औपचारिक लोकार्पण प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की 150वीं वर्षगांठ पर 10 मई 2007 को किया गया. पिछले साल 10 मई को संग्रहालय का नवीनीकरण और लाइट एंड साउंड शो का लोकार्पण मुख्यमंत्री ने किया.

किस गैलरी में क्या

● पहली गैलरी मेरठ की क्रांति को समर्पित है.

● दूसरी गैलरी पश्चिम उत्तर प्रदेश में शहरों से गांवों तक हुई क्रांति के दस्तावेज प्रदर्शित.

● तीसरी गैलरी दिल्ली, कानपुर लखनऊ की घटनाओं को दर्शाती है.

● चौथी गैलरी बुंदेलखंड, रुहेलखंड और पूर्वांचल में हुई क्रांति का प्रदर्शन.

● पांचवीं गैलरी महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश में हुई क्रांति को दिखाया है.

पांच गैलरी में इतिहास

राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय में पांच गैलरी बनाई गई हैं. स्वाधीनता, स्वाभिमान, संघर्ष, स्वराज, संग्राम इनके नाम हैं.

ऑडियो-वीडियो की सुविधा

संग्रहालय में एक तरफ चित्रों के माध्यम से सभी तथ्यात्मक ऐतिहासिक बातों को दर्शाया गया है तो वहीं लाइट साउंड सिस्टम भी लगाया है.

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