उत्तरप्रदेश | राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष तथा सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने कहा कि महिलाओं के अधिकारों तथा उनके सशक्तीकरण के संबंध में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण का क्षेत्र व्यापक हो गया है. छोटे विवादों को सुलह समझौते से निपटाकर उन्हें न्यायालय आने से रोकने का प्रयास करना चाहिए. वह गोमतीनगर स्थित जेटीआरआई सभागार में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.
न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि समाज के विकास के लिए समाज के सभी वर्गों के लोगों का विकास जरूरी है, क्योंकि हम सभी एक डोर से बंधे हुए हैं. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विधि के शासन को स्वीकार करना होगा. विधिक सहायता एवं जागरूकता एक नियमित प्रक्रिया है. महिला सशक्तीकरण के लिए शिक्षा और जागरूकता पर बल दिया. राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि महिला सशक्तीकरण की सार्थकता तभी होगी जब महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों का ज्ञान हो. इसके लिए जागरूकता का अत्यधिक महत्व है.
न्यायिक सेवाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर ने कहा कि महिला सशक्तीकरण की सार्थकता के लिए हमें रूढ़िवादी सोच को त्यागना होगा. उन्होने राष्ट्रीय महिला आयोग की भूमिका की सरहाना करते हुए कहा कि महिलाओं के उत्थान की दिशा में हम धीरे-धीरे प्रगति की ओर अग्रसर है. इसे रेखांकित करते हुए बताया कि न्यायिक सेवाओं में पुरुषों के सापेक्ष महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है. राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण तथा राष्ट्रीय महिला आयोग के सहयोग से 12 से 31 जुलाई तक पूरे प्रदेश में जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों की ओर से महिला संरक्षण कानून पर आयोजित विधिक साक्षरता शिविर आयोजित किया गया था.
जिसमें 18 हजार महिलाओं को उनके अधिकारों की जानकारी दी गई. जेटीआरआई परिसर में इसका समापन समारोह आयोजित किया गया. इस दौरान राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की सदस्य संतोष स्नेही मान, जेटीआरआई निदेशक विनोद सिंह रावत, उच्च न्यायालय महानिंबधक राजीव भारती, विवेक वशिष्ठ, संजय सिंह, मीनाक्षी नेगी, परिवार न्यायालयों के न्यायाधीश तथा सचिव, महिला डाक्टर, महिला एवं बाल विकास अधिकारी, आशा बहू, सीडीपीओ तथा विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे.