होली पर 30 साल बाद बन रहा दुर्लभ योग

Update: 2023-03-07 10:08 GMT

मेरठ: फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शाम से होली पर्व की शुरुआत हो चुकी है। सात मार्च यानि मंगलवार शाम के समय होलिका दहन किया जाएगा। उसके अगले दिन रंग वाली होली की धूमधाम रहेगी। ज्योतिषाचार्य मनीष स्वामी का कहना है कि इस वर्ष पूर्णिमा के दिन भद्राकाल के कारण होलिका दहन की तिथि को लेकर उलझन रही है, लेकिन अनेकों दुविधाओं के बीच होलिका दहन 7 मार्च को ही होगा।

जबकि 8 मार्च को होली खेली जाएगी। पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 6 मार्च को शाम 4 बजकर 17 मिनट हुई और 7 मार्च को शाम 6 बजकर 9 मिनट पर समाप्त होगी। इसके साथ ही भद्रा की शुरुआत 6 मार्च को शाम 4 बजकर 17 मिनट से होगी, जो 7 मार्च की सुबह 5 बजकर 15 मिनट तक रहेगी। भद्रा काल में होलिका दहन नहीं होता है। बता दें कि होलिक दहन के समय भद्रा काल जरूर देखा जाता है, क्योंकि इसके प्रभाव से शुभ-अशुभ फलों की प्राप्ति होती है।

होलिका दहन के नियम और पूजा विधि

होलिका पूजन करते समय अपना मुंह पूर्व या उत्तर की ओर करके बैठे। पूजन की थाली में रोली, पुष्प, माला, नारियल, कच्चा सूत, साबूत हल्दी, मूंग, गुलाल व पांच तरह के अनाज, गेहूं की बालियां, एक लोटा जल होना चाहिए।

ओम होलिकाये नम: मंत्र का करें जाप

होलिका के चारों ओर सात बार परिक्रमा करके कच्चा सूत लपेटना शुभ होता है। इसके बाद विधिवत तरीके से पूजन के बाद होलिका को जल का अर्घ्य दे। साथ ही (ओम होलिकाये नम:) मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। इससे सारे कष्टों का नाश होता है। इससे घर परिवार में समृद्धि आती है।

स्वास्थ्य और खुशहाल जीवन मिलता है

होलिका दहन पूर्णिमा के दिन प्रदोष काल में ही किया जाए तो सबसे शुभ होता है। होलिका की अग्नि में फसल सेंककर अगले दिन उसे ग्रहण करने से जीवन में निराशा और दुख का साया नहीं आता है। साथ ही वह व्यक्ति रोगों से मुक्त होकर स्वस्थ्य व खुशहाल जीवन जीता है।

ये है होलिका दहन का मुहूर्त

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 7 मार्च को शाम 6 बजकर 12 मिनट से 8 बजकर 24 मिनट तक रहेगा।

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