महारथ हासिल है रैपिड रेल ट्रांसिट सिस्टम को, इसलिए आरआरटीएस को मिली रैपिड की जिम्मेदारी

Update: 2023-01-30 08:42 GMT

मेरठ: जब बात देश की पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन की हो। जब बात भारतीय रेल ढांचे में बदलाव की हो। जब बात अंडरग्राउण्ड तो कभी एलिवेटेड ट्रेन दौड़ाने की हो या जब बात हाई स्पीड टेÑन को पुराने शहर के बीचो बीच गुजारने की हो, तो ऐसे में सबका ध्यान तकनीक की ओर जाना स्वभाविक है। जब सरकार रैपिड पर मंथन कर रही थी तब उसके दिमाग में सिर्फ तकनीकी एंगल ही काफी नहीं था। रैपिड के रणनीतिकारों ने तकनीक के साथ साथ आधुनिकता पर भी फोकस किया था।

इन्ही सब प्वॉइंट्स को मद्देनजर रखते हुए सरकार ने एक ऐसी एजेंसी को रैपिड का जिम्मा सौंपा जो सरकार की सोच पर खरी उतरती हो। दरअसल आरआरटीएस को देश में रेलवे और समग्र परिवहन क्षेत्र के लिए कई उपलब्धि हासिल करने का श्रेय हासिल है। चाहे वो कार्यान्वयन का क्षेत्र हो अथवा संचालन के लिए तकनीक का। तकनीकी निर्माण का क्षेत्र हो या फिर कम्प्यूटर आधारित सुविधाओं का। इन सभी आरआरटीएस पर रैपिड के रणनीतिकारों ने भरोसा किया और इसी का फल आरआरटीएस को मिला।

हालांकि प्रायोरिटी सैक्शन पर पिछले महीने ही रैपिड का मुख्य ट्रायल प्रस्तावित था, लेकिन रैपिड सूत्रों के अनुसार कुछ तकनीकी काम के पेन्डिंग होने के चलते इसे आगे बढ़ा दिया गया है। दरअसल दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस भारत का पहला हाई स्पीड शहरी नेटवर्क होगा। लिहाजा रैपिड प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारी इसके संचालन पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। इस समय प्रॉयोरिटी सैक्शन पर रैपिड का गति परीक्षण चल रहा है। इसके अलावा कई और व फिनिशिंग कार्य तेजी से पूरे किए जा रहे हैं। टेलीकॉम से लेकर सिग्नलिंग का काम भी प्रगति पर है।

यह सारा काम शीघ्र पूरा होने की उम्मीद है और इसके बाद फाइनल ट्रायल रन की तारीख का ऐलान कर दिया जाएगा। रैपिड से जुड़े सूत्रों के अनुसार एनसीआरटीसी ने प्राथमिकता के तौर पर दुहाई डिपो से गाजियाबाद आरआरटीएस स्टेशन तक 25 केवी क्षमता पर ओवर हेड उपकरण (ओएचई) चार्ज किया जबकि प्रायोरिटी सेक्शन के बचे हुए हिस्से पर भी ओएचई चार्ज करने की प्रक्रिया को अन्तिम रुप दिया जा रहा है। यह सब काम पूरा होने के बाद मुख्य ट्रायल रन के हरी झंडी दिखा दी जाएगी।

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