महानगर में मल्टीलेवल पार्किंग बनाने का प्रस्ताव किया पारित

Update: 2022-11-20 09:02 GMT

मेरठ न्यूज़: एक महीने के अंतराल से हुई नगर निगम बोर्ड की बैठक में हलके फुल्के हंगामे को छोड़कर अधिकांश मुद्दों पर चर्चा हुई, जिसमें या तो प्रस्ताव पारित किए गए, या जनता के हित में कर वृद्धि जैसे प्रस्ताव आम सहमति से खारिज कर दिए गए। बैठक की मुख्य बात यह रही कि इसमें जियो मैपिंग सर्वे को पूरी तरह रोकने और भवन स्वामियों को जारी किए गए नोटिसों का एकमत से विरोध किया गया, जिसके आधार पर नगर आयुक्त ने कर निर्धारित अधिकारियों को साथ-साथ अनुपालन करने के आदेश भी जारी किए। इसके अलावा पालतू कुत्तों के काटे जाने की घटना में वृद्धि का मुद्दा उठाने पर एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें व्यवस्था दी गई कि पालतू कुत्ते ने अगर किसी को काटा, तो मालिक पर 10 हजार रुपये का जुर्माना किया जाएगा। साथ ही पीड़ित के उपचार का का खर्च भी उठाना होगा।

पूर्वान्ह 11 बजे के बाद महापौर सुनीता वर्मा की अध्यक्षता में शुरू हुई बोर्ड बैठक में जिमखाना मैदान, बच्चा पार्क, लेडीज पार्क की लीज को लेकर कोर्ट में चल रहा मामला प्रमुख मुद्दों मेें शामिल रहा। पार्षदों की ओर से मांग की गई कि इस केस की पैरवी के लिए सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ताओं का पैनल बदल दिया जाए। ललित नागदेव ने कहा कि उनके संज्ञान में आया है कि नगर निगम से संबंधित 146 केस सुप्रीम कोर्ट में चल रहे हैं, इसको लेकर स्थिति स्पष्ट की जाए। इस पर मेयर सुनीता वर्मा ने संबंधित अधिकारी के जरिये जवाब दिए जाने की व्यवस्था दी। अपर नगर आयुक्त ममता मालवीय ने केस की संख्या को लेकर कोई जवाब नहीं दिया, बल्कि जिमखाना मैदान की लीज समाप्त होने के साथ शुरू हुए कोर्ट केस के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि नगर निगम इस मुकदमे को हारा नहीं हैं, बल्कि हाईकोर्ट में यह मांग की गई थी कि वाद की सुनवाई सिविल कोर्ट के बजाय आर्बिट्रेशन में कराने की व्यवस्था दी जाए। जाने की मांग कर रहे हैं। इस पर एक महिला पार्षद ने पार्षद ने पूछा समय से नगर निगम की ओर से समय रहते लीज का नवीनीकरण क्यों नहीं कराया गया? हाईकोर्ट ने केस फिर से सिविल कोर्ट में क्यों भेजा, क्या नगर निगम का पक्ष खारिज हुआ है। इसके जवाब में अपर नगर आयुक्त की ओर से कहा गया कि लीज समाप्त होने का मामला एक दशक से ज्यादा पुराना है,

अब नगर निगम इस केस को सिविल में लड़ने के बजाय आर्बिट्रेशन में ले जाना चाहता है। जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी की जा रही है। इस पर पार्षदों की ओर से पैनल बदलने की मांग उठाई गई। इसके अलावा महानगर में मल्टी लेवल पार्किंग नगर निगम परिसर में बनाने के पूर्व में लाए गए प्रस्ताव पर चर्चा की गई, मांग की गई कि इस प्रस्ताव के अनुसार शीघ्र शिलान्यास कराया जाए। नगर क्षेत्र में अवैध होर्डिंग को लेकर भाजपा पार्षदों की ओर से अभियान की प्रगति रिपोर्ट के बारे में जानकारी ली गई, जिसके बारे में संबंधित अधिकारी का कहना था कि अभियान के दौरान कितने अवैध होर्डिंग्स हटाए गए, इसकी वास्तविक संख्या बता पाना संभव नहीं है। क्योंकि होर्डिंग्स लगते और उतरते रहते हैं। पूछा गया कि जो कार्रवाई की गई है उसके बारे में अवगत कराया जाए कितनी एफआईआर हुई है। इस पर मेयर सुनीता वर्मा ने कहा कि यह मुद्दा पहले भी कई बार आ चुका है, लेकिन नगर निगम अधिकारी इस बारे में कुछ बता नहीं पाते। जवाब में अधिकारी ने कहा जो होर्डिंग्स कब्जे में ले जाते हैं, उन्हें स्टोर में जमा करा दिया जाता है।

इस पर प्रस्ताव रखा गया कि अवैध होर्डिंग पर विज्ञापन देने वालों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराई जाए। इसके अलावा मेयर सुनीता वर्मा की ओर से कई वार्ड-2 में अंबेडकर पार्क, वार्ड-4 तेजगढ़ी में कांशीराम पार्क आदि के सौंदर्यीकरण का प्रस्ताव लाया गया। रेलवे रोड का नाम सेठ दयानन्द गुप्ता मार्ग करने का प्रस्ताव रखा गया। कारगिल शहीद सतीश कुमार के नाम कंकरखेड़ा टंकी रोड का नाम रखने का प्रस्ताव लाया गया। पार्षद धर्मवीर ने मलियाना वार्ड दो और वार्ड आठ की सफाई, तालाबों को कब्जा मुक्त कराने, हर वार्ड में 20-20 लाइटें दिए जाने के प्रस्ताव दिए। पार्षद गफ़्फार सैफी ने लोक निर्माण विभाग की ओर से महानगर में 28 सामुदायिक भवन बनाकर लावारिस छोड़ देने की बात कही।

नामांतरण शुल्क में नहीं होगी वृद्धि: बोर्ड बैठक के दौरान सबसे ज्यादा हंगामा नामांतरण शुल्क में वृद्धि के प्रस्ताव पर हुआ। सभी दलों के पार्षदों का कहना था कि पूर्व में हुई बैठक में इस वृद्धि को खारिज कर दिया गया था। इसके बावजूद नगर निगम की टीम नामांतरण शुल्क 500 रुपये के बजाय हजारों में वसूल कर रही है। पार्षदों ने पहले मेयर सुनीता वर्मा और फिर नगर आयुक्त अमित पाल शर्मा से भी नामांतरण शुल्क पूर्ववत 500 रुपये ही रखे जाने के लिए मुहर लगवाते हुए कर निर्धारण अधिकारी के लिए आदेश कराया गया।

जियो सर्वे में नहीं होंगे नोटिस जारी: पार्षद ललित नागदेव ने जियो सर्वे की प्रक्रिया को लेकर आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि महानगर में लाखों भवन स्वामियों को किस आधार पर नोटिस जारी करके आपत्ति ली जा रही है। उनका कहना था कि नियम के अनुसार किसी भवन में नवनिर्माण, संशोधन या परिवर्तन करने की स्थिति में 213 का नोटिस जारी किया जा सकता है। जबकि कर निर्धारण अधिकारियों ने हर किसी को नोटिस जारी कर दिए हैं। अपर नगर आुयक्त प्रमोद कुमार ने स्पष्ट किया कि पार्षद का कहना सही है, केवल भवन में किसी प्रकार की तब्दीली करने पर ही 213 का नोटिस जारी किया जा सकता है। इस पर पार्षदों का कहना था कि यही नोटिस नगर निगम के अधिकारियों की अवैध वसूली का माध्यम बना हुआ है। पार्षदों को जनता के बीच जाकर जवाब देना होता है। इस प्रकार के नोटिस निरस्त करने और जियो सर्वे में कोई नोटिस जारी न करने के बारे में सदन ने प्रस्ताव पारित करते हुए मेयर और नगर आयुक्त से तत्काल अनुमोदन कराया।

'ड्रामे' ने कराया हंगामा: जियो सर्वे को लेकर चल रही चर्चा के दौरान पार्षद गफ़्फार सैफी की एक टिप्पणी को लेकर देर तक हंगामा हुआ। दरअसल, उनका तर्क था कि यह प्रस्ताव पहले हुई बैठक में ही पारित किया जा चुका है। इसको लेकर नया ड्रामा बनाने की जरूरत नहीं है। उनके ड्रामा शब्द का प्रयोग करते ही भाजपा पार्षदों ने जमकर हंगामा करते हुए गफ्फार सैफी को घेर लिया। भाजपा पार्षदों का सवाल था कि जनता के हित के लिए रखे गए इतने महत्वपूर्ण मुद्दे को ड्रामा बताने के पीछे उनकी मंशा क्या है। जैसे-तैसे करके महापौर सुनीता वर्मा ने दोनों पक्षों को शांत कराया।

एक साल का भत्ता दिलाने की मांग: पार्षद गफ्फार सैफी ने सदन में मुद्दा उठाया कि पार्षदों को एक साल से 50 रुपये रोज मिलने वाला भत्ता नहीं दिया गया। उन्होंने मजाहिया अंदाज में कहा कि नगर आयुक्त और मेयर को इस पर विचार करना चाहिए कि एक साल से भत्ता न मिलने की स्थिति में पार्षदों के घर कैसे चल रहे होंगे। इस बात पर सदन में खूब ठहाके लगे।

संत टेरेसा की प्रतिमा का प्रस्ताव खारिज: नगर निगम कार्यसमिति के उपाध्यक्ष रंजन शर्मा ने नगर में किसी प्रमुख चौराहे पर महान संत मदर टेरेसा की प्रतिमा लगाने के संबंध में प्रस्ताव रखा। लेकिन भाजपा पार्षदों ने इसका विरोध किया। जिस पर रंजन शर्मा का कहना था कि बड़े-बड़े दावे करने वालों ने एक महान संत और मातृशक्ति को सम्मान देने का विरोध किया है। जो लोग मातृशक्ति का सम्मान नहीं कर सकते वह नारी का या समाज के ऐसे तबके का सम्मान क्या करेंगे। उनका कहना था कि ये लोग महिलाओं को बराबरी का अधिकार देने की बात करते हैं।

सफाई मजदूरों के सुरक्षा उपकरण बढ़ेंगे, वेतन नहीं: नगर निगम बोर्ड बैठक पर सबसे ज्यादा निगाहें सफाईकर्मियों के मानदेय में वृद्धि को लेकर टिकी हुई थी, लेकिन इस मुद्दे को अधिकारियों ने बड़ी सफाई से हाशिये पर धकेल दिया। अधिकारियों ने सरकार की मंशा का हवाला दिया कि अधिक से अधिक लोगों को रोजगार दिए जा रहे हैं। पार्षद धर्मवीर ने इस संबंध में टेंडर के लिए अधिकारी और पार्षदों की कमेटी बनाए जाने का प्रस्ताव दिया। पार्षदों का कहना था कि यह कितनी बड़ी बेबसी है कि बोर्ड सफाई श्रमिकों का वेतन भी नहीं बढ़ा पा रहा है। बोर्ड बैठक के दौरान अधिकांश पार्षदों ने अपने-अपने क्षेत्र के प्रस्ताव रखे। वहीं संयुक्त सफाई मजदूर संघर्ष समिति से जुड़े नेताओं ने बैठक की समाप्ति पर महापौर सुनीता वर्मा की गाड़ी को रोककर उनका जवाब जाना, जिनका कहना था कि वे सफाई मजदूरों के वेतन वृद्धि का समर्थन करती हैं। सफाई मजदूर नेता छोटे रास्ते से नगर आयुक्त के आने का इंतजार करते रहे, लेकिन वे मुख्य द्वार से गाड़ी लेकर निकल गए। इस पर सफाई मजदूर नेताओं ने सोमवार से आंदोलन की रणनीति बनाने की बात कही है।

जल मूल्य वृद्धि का प्रस्ताव खारिज किया: बैठक के दौरान लाए गए जलमूल्य वृद्धि के प्रस्ताव को सदन ने ध्वनिमत से खारिज कर दिया। पार्षदों का कहना था कि दो साल कोरोना की भेंट चढ़ गए। इस दौरान लोगों की आय बढ़ने के बजाय घटी है। ऐसे में जनता पर कोई नया बोझ लादने के पक्ष में सदन नहीं है, इसका सभी ने समर्थन किया। इसके अलावा दो करोड़ की लागत से टाउन हाल सभागार की मरम्मत के लिए लाए गए प्रस्ताव पर पार्षदों ने हैरानी जताते हुए कहा कि दो करोड़ में एक बड़ी बिल्डिंग बनाई जा सकती है। महिला पार्षद ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि छोटे-मोटे कामों में बड़े घोटाले होते हैं। बड़े काम होते नहीं हैं, छोटे-मोटे में ही सब गोलमाल हो जाते हैं।

सड़कों के गड्ढे कब भरे जाएंगे?

भाजपा पार्षद अंशुल गुप्ता ने प्रदेश सरकार के महत्वांकाक्षी और जनहित के आदेश सड़कों को गड्ढा मुक्त किए जाने के बारे में सवाल किया। उन्होंने कहा कि अभी तक नगर निगम की ओर से क्षेत्र में 25 प्रतिशत गड्ढे भी भरे नहीं जा सके हैं, जबकि प्रदेश सरकार का यह विशेष अभियान है। जिसके जवाब में निर्माण विभाग के अधिकारी ने दावा किया कि 25 नवंबर तक सभी जगह काम पूरा कर लिया जाएगा। उनका कहना था कि ज्यादातर क्षेत्र में गड्ढे भरे जा चुके हैं, कुछ वार्ड में काम बाकी है। इस पर पार्षदों ने हंगामा करते हुए कहा कि अभी टेंडर नहीं हुए, ठेकेदारों का भुगतान नहीं हुआ।

मेयर का महापुरुषों के नाम पर मास्टर स्ट्रोक: मेयर सुनीता वर्मा ने शनिवार को निकाय चुनाव से ठीक पहले बोर्ड बैठक में महापुुरुषों के पार्क सौंदर्यीकरण और उनके नाम पर रोड का नामकरण कर मास्टर स्ट्रोक लगा दिया। शनिवार को हुई बोर्ड की बैठक में सदन में वार्ड-2 मलियाना में स्थित भारत रतन डा. भीमराव अंबेडकर का पार्क जर्जर अवस्था में हैं, जिसके सौंदर्यीकरण करने का प्रस्ताव भी बोर्ड बैठक में पास करा दिया। वार्ड-4 शेरगढ़ में स्थित काशीराम पार्क भी जर्जर अवस्था का प्रस्ताव भी रखा, जिसके सौंदर्यीकरण का प्रस्ताव भी स्वीकृत करा दिया। तेजगढ़ी चौराहे से हापुड चुंगी चौराहा तक जाने वाली रोड का नाम डा. भीमराव अंबेडकर के नाम पर करा दिया। इसका प्रस्ताव भी सर्वसम्मति से सदन में पास हो गया। एमएलसी डा. सरोजगनी अग्रवाल के प्रस्ताव रेलवे रोड को सेठ दयानंद गुप्ता के नामकरण करने का प्रस्ताव भी सदन में रखा गया, ये प्रस्ताव भी मेयर की तरफ से रखा गया था,

जिसे सदन ने स्वीकृत कर दिया। इस तरह से कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पास कराकर मेयर ने एक तरह से निकाय चुनाव से ठीक पहले मास्टर स्ट्रोक लगा दिया। इसके अलावा नगर निगम के सीमा क्षेत्र में स्थित डा. भीमराव अंबेडकर की मूर्तियों के साथ-साथ समस्त महापुरुषों की मूर्तियों का सौंदर्यीकरण लाइट, फैंसी ग्रिल, गमले व अन्य सामग्री द्वारा कराने के प्रस्ताव भी रखे और सदन की इनको स्वीकृति भी हो गई।

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