प्रतापगढ़ न्यूज़: बेल्हा की 60 ग्राम पंचायतों का पानी फ्लोराइडयुक्त (खारा) होने से हर घर नल योजना के तहत बनाई जा रही पेयजल परियोजाएं अटक गई हैं. इसका खुलासा पेयजल परियोजनाओं के लिए कार्यदाई संस्था की ओर से कराई गई बोरिंग के दौरान हुआ है. यही नहीं जलनिगम की ओर से पानी की लेबोरेट्री में जांच कराने के बाद इसे पीने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया है. इसकी रिपोर्ट जलनिगम ने डीएम के माध्यम से शासन को भेजा है.
पेयजल की किल्लत वाली ग्राम पंचायतों को प्रशासन की ओर से हर घर नल योजना में शामिल कर शासन को सूची भेजकर पेयजल परियोजना का निर्माण कराने का प्रस्ताव भेजा गया था. इसके तहत जिले के 1203 राजस्व गांव में पेयजल परियोजना का निर्माण कराया जाना है. वर्तमान में करीब 161 स्थानों पर पेयजल परियोजना का निर्माण कराने के साथ घर-घर आपूर्ति के लिए पाइप बिछाई जा चुकी है. जबकि कुल 563 राजस्व गांव में निर्माण चल रहा है. पेयजल परियोजना का निर्माण कराने के लिए चिन्हित किए गए स्थलों पर बोरिंग के दौरान 60 स्थलों पर अब तक फ्लोराइडयुक्त (खारा) पानी मिलने की पुष्टि हो चुकी है. इन स्थलों के पानी की लेबोरेट्री में जांच कराने पर आई रिपोर्ट में इसे पीने के लिए अयोग्य करार दिया गया है. कार्यदाई संस्था जलनिगम ने इसकी रिपोर्ट डीएम के माध्यम से शासन को भेजा है.
पड़ोसी गांव से आपूर्ति करने की मांगी अनुमति
पेयजल परियोजनाओं का निर्माण कराने के लिए नामित कार्यदाई संस्था जलनिगम की ओर से बेल्हा के 60 स्थलों पर फ्लोराइडयुक्त पानी मिलने की रिपोर्ट शासन को भेजी गई है. रिपोर्ट में इसके विकल्प के तौर पर पड़ोस वाले ऐसे गांव से पेयजल की आपूर्ति करने की अनुमति मांगी गई है जहां का पानी पीने योग्य है. हालांकि अभी तक शासन से इसकी अनुमति नहीं मिली है. ऐसे में परियोजनाओं का निर्माण रोक दिया है.
अब जिले के 563 स्थलों पर पेयजल परियोजना का निर्माण शुरू कराया जा चुका है. इसमें से 161 परियोजनाओं का कार्य पूरा किया जा चुका है. 60 स्थलों पर फ्लोराइडयुक्त पानी मिलने की पुष्टि हुई है. इसके चलते परियोजना का निर्माण रोक दिया गया है.
-लोकेश शर्मा, एक्सईएन जलनिगम (नोडल)
हर महीने जमा कराया जाएगा 50 रुपये अंशदान
प्रयजल परियोजनाओं से घर-घर पानी की आपूर्ति की जाएगी. परियोजनाओं के रखरखाव के लिए प्रत्येक परिवार से हर महीने 50 रुपये अंशदान के रूप में जमा कराने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत की होगी. अंशदान से जुटाई वाली धनराशि को परियोजना संचालित करने वाले आपरेटर के मानदेय व रखरखाव पर खर्च किया जा सकेगा.