Kanwar route पर नेमप्लेट के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट में याचिका

Update: 2024-07-25 06:35 GMT
उत्तर प्रदेश UP : यूपी में कांवड़ रूट पर खानपान और फलों की दुकानों पर मालिक और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने के लिए मुजफ्फरनगर पुलिस द्वारा जारी निर्देशों के समर्थन में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई। अर्जी में शीर्ष अदालत से मामले में हस्तक्षेप करने और पक्ष रखने की अनुमति मांगी गई है। मूलरूप से हरियाणा निवासी सुरजीत सिंह यादव ने अर्जी में किसान और सामाजिक कार्यकर्ता होने का साथ ही खुद को भगवान शिव का भक्त बताया है। कहा है कि
मुजफ्फरनगर
के एसएसपी द्वारा पारित निर्देश आदेश के रूप में नहीं है बल्कि एक एडवाइजरी है। उन्होंने कहा है कि इसके विरोध में याचिकाकर्ताओं ने SSP एसएसपी के निर्देश को सांप्रदायिक और सियासी रंग देने की कोशिश की है। अर्जी में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 22 जुलाई को पारित अंतरिम आदेश से भगवान शिव का भक्त होने के नाते याचिकाकर्ता प्रभावित है। संविधान का अनुच्छेद 13(2) उसे अपने पारंपरिक और प्रथागत अधिकारों और अनुष्ठानों का पालन करने की भी अनुमति देता है और इसे किसी गैर सरकारी संगठन द्वारा दायर याचिका के आधार पर नहीं छीना जा सकता है। अर्जी में यह कहा गया है कि इस निर्देश के खिलाफ कोई भी दुकानदार चुनौती देने कोर्ट नहीं आया, बल्कि वे लोग आए जो इसे राजनीतिक रंग देना चाहते थे।
क्या है मामला सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को यूपी और उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा मार्ग पर खानपान और फलों की दुकान पर मालिकों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने के निर्देशों पर रोक लगा दी थी। साथ ही यूपी, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। MP मध्य प्रदेश सरकार को इसलिए नोटिस जारी किया गया था क्योंकि उज्जैन नगर निगम ने इसी तरह का निर्देश जारी किया है। लंबी सुनवाई के बाद पीठ ने कहा था कि वह यूपी और उत्तराखंड के उस निर्देशों पर रोक लगाने के लिए अंतरिम आदेश पारित करना उचित समझती है जिसमें कहा गया है कि कांवड़ मार्ग पर बने भोजनालयों व फलों की दुकान के मालिकों को अनिवार्य तौर पर अपना नाम प्रदर्शित करना चाहिए।
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