एक बार फिर तेजी से बढ़ने लगा गंगा का जलस्तर, नमो घाट भी डूबा

पहाड़ी इलाकों में भारी बारिश और बाढ़ का असर वाराणसी में दिखाई देने लगा है।

Update: 2022-08-19 05:52 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पहाड़ी इलाकों में भारी बारिश और बाढ़ का असर वाराणसी में दिखाई देने लगा है। गंगा का जलस्तर एक बार फिर तेजी से बढ़ने लगा है। वाराणसी के दक्षिणी में स्थित अस्सी घाट और उत्तरी में बना नमो घाट भी डूब गया है। कल तक दो से तीन सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहीं गंगा शुक्रवार को आठ सेंटीमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से बढ़ने लगी हैं। इससे कई निचले इलाकों में खलबली मच गई है।

केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक रफ्तार यही रही तो 24 घंटे के अंदर जलस्तर का चेतावनी बिंदू पार कर जाएगा। गुरुवार की सुबह गंगा का जलस्तर 67.54 मीटर था जो शुक्रवार की सुबह 68.44 मीटर पर आ गया है। फिलहाल जलस्तर 69.00 मीटर पर पहुंच गया है। यह चेतावनी बिंदु से 1.262 मीटर और खतरे के निशान से 2.262 मीटर नीचे है।
जिला प्रशासन ने जारी किया कंट्रोल रूम का नंबर: बाढ़ की आशंका को देखते हुए जिला प्रशासन कंट्रोल रूम का नंबर 0542-2508550 जारी करते हुए सम्बंधित इलाके के प्राधिकारी का नम्बर भी सार्वजनिक किया गया है। जिलाधिकारी ने आदेश दिया है बाढ़ से बचाव में तैनात सभी अधिकारी व कर्मचारी अपनी-अपनी तैयारी समय पूर्व पूरा कर लें।
उधर, जिले के ग्रामीण इलाकों में 40 बाढ़ राहत शिविर बनाने के साथ सक्रिय किया गया है। सदर तहसील में 33, पिंडरा में 3 और राजातालाब के 4 शिविर शामिल हैं। जिला प्रशासन ने गंगा तटवर्ती कॉलोनियों मे भी नजर रखने का आदेश दिया है।
गंगा जलस्तर में बढ़ाव से श्मशानघाट डूब गए हैं। हरिश्चंद्र घाट पर गुरुवार को गलियों में शवों का अंतिम संस्कार किया गया। वहीं मणिकर्णिका घाट पर बृजपाल दास रमा देवी विश्राम स्थल में पानी चले जाने से शवदाह कराने में परिजनों को कठिनाई हो रही है।
मणिकर्णिका घाट पर सामान्य तौर पर 3-4 घंटे में पूरी होने वाली प्रक्रिया में 6 से 8 घंटे लग रहा है। हरिश्चंद्र घाट पर भी सीएनजी शवदाह गृह के नजदीक पानी पहुंच गया है। परंपरागत स्थान पानी में समा जाने से गलियों में अंतिम संस्कार किया जा रहा है। मणिकर्णिका घाट पर अपने मित्र के अंतिम संस्कार में शामिल होने पहुंचे रविकांत ने कहा कि घाट पर दो घंटे हो गए हैं लेकिन अभी प्रक्रिया शुरू ही नहीं हो सकी है। चारों ओर पानी होने से शव को रखने की जगह भी मुश्किल से मिली।
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