पुल पर ट्रैफिक के लोड को लेकर अब नया सवाल, एस्टीमेट पास करवाने मे हो रही देरी से कहीं लेने के देने न पड़ जाएं

Update: 2022-10-22 08:47 GMT

मेरठ न्यूज़: हस्तिनापुर में भीकुंड से बिजनौर के चांदपुर को जोड़ने वाला गंगा नदी पर बना पुल क्या अपनी ताकत खो रहा है? पुल के ऊपर चलने वाला हेवी ट्रैफिक का लोड क्या इस पुल पर भारी पड़ रहा है?क्या पुल कमजोर हो रहा है? यह सवाल हम खुद नहीं उठा रहे और न ही अभी किसी की जुबां पर हैं, हालांकि यह सवाल फिजां में तैर जरूर रहे हैं। दरअसल महाभारतकालीन होने के कारण हस्तिनापुर का दर्जा स्वयं में विशेष है। द्रोपदी के श्राप को लेकर भी अक्सर यहां सवाल उठते रहे हैं। हालांकि हस्तिनापुर के विभिन्न पहलुओं पर रिसर्च करने वाले प्रो. प्रियंक भारती चिकारा यहां की रग रग से वाकिफ हैं और कहते हैं कि द्रोपदी के श्राप की बात यदि सही होती तो यहां जैनिज्म व सिख्ज्मि की धरोहरें क्यों परवान चढ़तीं। यह सिर्फ भूमाफियाओं के दिमाग की उपज हो सकती है।

दरअसल, प्रियंक भारती की चौकस निगाहें पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों की नींद उड़ाने के लिए काफी हैं। प्रियंक भारती के अनुसार वो हस्तिनापुर पर रिसर्च करने के कारण यहां की हर स्थिति पर पैनी नजर रखते हैं। इसी के चलते उन्होंने खुलासा किया है कि यहां गंगा नदी पर बने पुल में अब कहीं कहीं दरारें आ रही हैं। उनका यह बयान जरूर चौंकाने वाला है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या विभागीय अधिकारी सो रहे हैं। क्योंकि अगर पुल पर दरारें आ रही हैं तो इसकी वजह क्या है। क्या पुल बनाने से पहले यहां मिट्टी की सैंपलिंग सही ढंग से नहीं हुई? क्या यह पुल बड़े वाहनों का बोझ सह नहीं पा रहा? बकौल प्रियंक भारती उन्होंने पुल पर स्वयं यह दरारे देखी हैं। यहां के कुछ लोग भी कहते हैं कि महाशिवरात्रि के दौरान जब रुट डायवर्ट होता है तो इस पुल पर ट्रैफिक का बोझ काफी हद तक बढ़ जाता है।

तट बंध का मामला अभी तक अधर में है। एस्टीमेट शासन स्तर पर पेन्डिंग पड़ा है। विजिलेंस जांच कब पूरी होगी कुछ नहीं पता। नदी में अवैध नाव संचालन पर भी प्रशासन का कोई फोकस नहीं। कुल मिलाकर यदि यह कह दिया जाए कि हस्तिनापुर पर शासन प्रशासन की नीति ढुलमुल है तो कुछ गलत न होगा। विजिलेंस जांच के चक्कर में शासन प्रशासन एक प्रकार से हस्तिनापुर के लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहा है। 167 करोड़ रुपये का जो बजट शासन पर सिर्फ विजिलेंस जांच के चक्कर में अटका हुआ है यदि वो पास होकर शीघ्र रिलीज कर दिया जाए तो हस्तिनापुर के लोगों को 'शासन के श्राप' से जरूर छुटकारा मिल जाएगा।

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