अलीगढ़: कहते हैं कि चिता पर लेटने के बाद इंसान का वो सफर शुरू होता है जो कि उसे मोक्ष तक ले जाता है. चिता को अग्नि देने के बाद मृतक की अस्थियों को गंगा में प्रवाहित कर मृत व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.
अलीगढ़ में एक-दो नहीं बल्कि 31 ऐसी अस्थियां हैं, जिन्हें मोक्ष प्राप्ति का इंतजार है. इसमें वह बदनसीब भी शामिल हैं जिनकी मृत्यु कोरोना के अलावा सामान्य हादसे व बीमारी से हुई, लेकिन फिर भी अपनों ने मुंह फेरते हुए अस्थियां नहीं लीं. यह तमाम अस्थियां नुमाइश ग्राउंड स्थित मुक्तिधाम के अस्थि बैंक में रखी हुई हैं. अब पितृपक्ष में मानव उपकार संस्था नेपाल में इन अस्थियों को नदी में विसर्जित करेगी. वर्ष 2020-21 में कोरोना ने तबाही मचाई थी. तमाम लोगों की इसमें मौत हुई. इन मौतों में से ही छह की अस्थियों को आज तक अपनों के आने का इंतजार है. मानव उपकार संस्था जो कि लंबे समय से लावारिस शवों का अंतिम संस्कार व अस्थियों का विसर्जन कराने का कार्य करती है. संस्था के संस्थापक अध्यक्ष विष्णु कुमार बंटी ने बताया कि कोरोना काल की छह अस्थियों के कलश रखे हुए हैं. दिल्ली, उत्तराखंड के रहने वाले इनके परिजनों को सूचना भी कई बार दी गई, लेकिन वह अस्थियां लेने नहीं आए. इसके अलावा 25 उन लोगों की अस्थियां हैं, जो अलीगढ़ में सड़क, ट्रेन हादसे और बीमारी के चलते खत्म हो गए. यह सभी कोलकाता, बिहार, झारखंड सहित अन्य प्रांतों के रहने वाले थे. इनके परिजनों को भी सूचना दी गई थी, लेकिन वह अंतिम संस्कार के समय भी नहीं आए. उसके बाद अस्थियां लेने भी कोई परिजन नहीं आया. इस बार पितृ पक्ष में दिवंगतों की अस्थियों का पूरे विधि विधान से नेपाल पशुपति नाथ के नजदीक स्थित पवित्र नदी बागमती में विसर्जन करने के लिए मानव सेवक वायु मार्ग से जा रहे हैं. इन दिवंगतों में 171 लावारिस हिंदू, एक किन्नर का शव हैं. बीते एक वर्ष में इनका अंतिम संस्कार संस्था द्वारा किया गया था.