लखनऊ: यूपी के मुख्यमंत्री ने शनिवार को प्रदेश शासन के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव स्तर के अधिकारियों तथा वरिष्ठ विधि अधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने कहा कि हर विभाग में नोडल अधिकारी एक्टिव रहें और न्यायालय के समक्ष सही तथ्य रखें।
उन्होंने कहा कि कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच बेहतर समन्वय और सही तथ्यों के साथ शासन की मंशा प्रस्तुत करने में हमारे विधि अधिकारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विगत साढ़े पांच-छह वर्षों के भीतर प्रभावी पैरवी के साथ आम जन को समय से न्याय दिलाने के लिए अपना बेहतर सहयोग दिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सुशासन में समय से न्याय मिलना जरूरी होता है। ऐसे में न्यायालय से जुड़ी पत्रावलियों का प्राथमिकता के साथ निस्तारण किया जाना चाहिए। पत्रावलियां लंबित न रहें, न्यायालय के समक्ष समय पर सही तथ्य प्रस्तुत हों, इनके लिए यह आवश्यक है कि शासन के अधिकारियों और विधि अधिकारियों के बीच सतत संवाद और बेहतर समन्वय हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कतिपय अवसरों पर न्यायालय द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को समन भी जारी किया जाता है। प्रयास हो कि ऐसे मौके अपवाद स्वरूप ही हों। ऐसी स्थिति से शासन के दैनिक कामकाज पर असर पड़ता है। विधि अधिकारियों को इसके लिए बेहतर नियोजन करना होगा।
कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत वाद में सही तथ्य रखे जाएं। तय समय-सीमा के भीतर एफिडेविट प्रस्तुत हो। सभी विभागों में इसके लिए नोडल अधिकारियों की तैनाती की गई है। विशेष परिस्थितियों में मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री कार्यालय से सहयोग लेने में संकोच न करें।
कहा कि न्यायालयों में राज्य सरकार का पक्ष रखना बड़ी जिम्मेदारी का कार्य है। इसके लिए पहले से ही पूरी तैयारी कर ली जानी चाहिए। हर प्रकरण को पूरी गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अधिवक्ता कल्याण के लिए राज्य सरकार द्वारा अनेक नीतिगत प्रयास किए गए हैं। महाधिवक्ता कार्यालय के माध्यम से भी इनका व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। अधिवक्ता गणों के हित में आगे भी नवीन प्रयास किए जाएंगे।
बैठक में प्रदेश सरकार के महाधिवक्ता, अपर महाधिवक्ता गण, प्रमुख सचिव न्याय, प्रमुख सचिव संसदीय कार्य सहित न्याय विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की सहभागिता रही।