न दवा, न डाक्टर, जांच के नाम पर खानापूरी, मरीजों को मजबूरी में प्राइवेट डॉक्टर से इलाज कराना पड़ रहा
उत्तरप्रदेश | सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मड़ावरा में संसाधन तो हैं लेकिन काम करने वाले व्यक्तियों का जबरदस्त अभाव है. जांच लैब तो है लेकिन इसमें बीमारियों की जांच नहीं होती. नतीजतन, मरीजों को निजी जांच सेंटरों का सहारा लेना पड़ता है. जहां उनका आर्थिक दोहन किया जाता है.
मड़ावरा सीएचसी अव्यवस्था से जूझ रही है यहां मरीजों को न डॉक्टर मिलते हैं और न दवाएं बदलते मौसम में रोगियों की संख्या भी बढ़ गई है सीएचसी पर सिर्फ एक डॉक्टर मौजूद मिले परेशान मरीजों ने बताया कि उन्हें मजबूरी में प्राइवेट डॉक्टर से इलाज कराना पड़ रहा है. बदलते मौसम में टायफायड के मरीज अस्पताल में पहुंच रहे हैं. बगैर जांच के उन्हें मामूली बुखार समझ दवा दे दी जाती है. जब मरीज का बुखार नहीं उतरता है तब वह निजी क्लीनिक का सहारा लेता है. जहां टायफायड जांच कराने को कहा जाता है.
जिस मरीज को फ्री में डाक्टर देखता और फ्री में हो जाता है. वहीं, निजी क्लीनिकों में डाक्टर की फीस और जांच दोनों को रुपया लगता है. इसी तरह से यूरिन कल्चर व ईएसआर की जांच भी नहीं होती है. मड़ावरा कस्बा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में रोगियों की सुविधा के लिए विभाग की ओर से स्त्रत्त्ी रोग विशेषज्ञ समेत डाक्टरों की तैनाती की गई लेकिन सिर्फ प्रभारी तैनात डा. ओपीडी में मरीजों को देखते मिले. उनके कमरे के बाहर व सीएचसी परिसर में उल्टी और दस्त से परेशान मरीज बैठे नजर आए.
सीएचसी अधीक्षक डा. अशोक कुमार ने बताया कि जिनकी ड्यूटी होती है, वह सभी चिकित्सक सीएचसी में मौजूद रहते हैं. दोपहर में चिकित्सक लंच पर गए होंगे. अगर कोई चिकित्सक बिना बताए अनुपस्थित है तो जांच करा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.