35 साल से अपने तेवर बदलकर बार-बार डंक मार रहे मच्छर

अब खून चूसकर घर से बाहर भाग रहेे मच्छर

Update: 2023-08-22 05:31 GMT

बरेली: मलेरिया-डेंगू फैलाने वाले खतरनाक मच्छर करीब 35 साल से डंक मार रहे हैं. पहले जो लार्वानाशक असरदार होता था, अब इसका असर 60 फीसदी तक कम हुआ है. जिले में प्रभावित इलाकों में स्टडी से भी पता चला है कि मच्छरों में जेनेटिक मोडिफिकेशन तेजी से हुआ है.

मलेरिया-डेंगू से जूझ रहे बरेली में मार्च से ही मच्छरों के खिलाफ अभियान शुरू हो जाता है जो नवंबर तक चलता है. मच्छरों से फैलने वाली बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल दिवस मनाया जाता है.

स्वास्थ्य विभाग के रिकार्ड के अनुसार, पहली बार 1988-89 में आंवला, रामनगर में मलेरिया का आउटब्रेक हुआ था. उस समय एक फैक्ट्री का निर्माण चल रहा था और दूसरे राज्यों से मजदूर काम करने आए थे. फिर हर साल मलेरिया के मरीज मिलने लगे. इसके बाद 2008 और 2012 में रामनगर, आंवला, भमोरा, मझगवां में आउटब्रेक हुआ था. वर्ष 2018, 2019 में जिले में मलेरिया ब्लास्ट हुआ. करीब 85 हजार मलेरिया मरीज दो साल में मिले जो प्रदेश में सबसे अधिक थे.

अब खून चूसकर घर से बाहर भाग रहेे मच्छर

मच्छरों की पुरानी प्रवृत्ति थी, खून चूसने के बाद घर की दीवार पर बैठना. इसके चलते ही स्वास्थ्य विभाग की तरफ से घरों में दीवार पर डीडीटी का स्प्रे किया जाता था. पांच साल पहले मलेरिया प्रभावित इलाको में जो सर्वे हुआ, उससे पता चला कि मच्छरों की यह प्रवृत्ति कम हो गई है. अब खून चूसकर मच्छर घर के बाहर खेत, जंगल की तरफ भाग रहे हैं.

घर का बजट भी बिगाड़ रहा मच्छरों का झुंड

सेहत के साथ घर का बजट भी मच्छरों की वजह से बिगड़ रहा है. मलेरिया, डेंगू जैसी बीमारी के इलाज में खर्च होता है, कई बार अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आ जाती है. इतना ही नहीं, पहले जहां मच्छरों को मारने वाली क्वायल, लिक्विड का उपयोग साल में तीन माह तक होते थे, अब 7-8 माह तक घरों में इसका इस्तेमाल करना पड़ रहा है. इससे भी खर्च पर असर पड़ रहा है.

● जेनेटिक मोडिफिकेशन से मच्छरों की प्रकृति में हुए कई बदलाव

● जिले में मच्छरों की तीन प्रजातियां बीमारियां फैल रहीं हैं. फाइलेरिया फैलाने वाले क्यूलेक्स, मलेरिया फैलाने वाले एनाफिलिज और डेंगू, चिकनगुनिया की वजह एडीज मच्छर.

सबसे प्रभावी है मच्छरदानी

जिला मलेरिया अधिकारी का कहना है कि मच्छरों के प्रकोप को कम करने के लिए सबसे प्रभावी उपाय मच्छरदानी है. मलेरिया प्रभावित आंवला, रामनगर, मझगवां, भमोरा में मच्छरदानी बांटी गई थी. इसका प्रभाव भी दिखा और वहां मलेरिया का प्रकोप घटा है.

मच्छरों में तेजी से हुआ जेनेटिक मॉडिफिकेशन मच्छरों पर दवा का असर कम होने की वजह है, जेनेटिक मॉडिफिकेशन. उनका जीवनचक्र 32 से 42 दिन का होता है. उनमें तेजी से प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है. इससे डीडीटी जैसी दवा का असर कम होने लगता है. -अभिषेक कुमार, मंडलीय एंटोमोलॉजिस्ट

Tags:    

Similar News

-->