अलीगढ़ न्यूज़: प्रोफेसर तारिक मंसूर ने पहले एएमयू रहकर में पिता की तरह कई पदों पर सेवाएं दी. अब दादा की तरह राजनीति में सियासत में हाथ आजमाएंगे. उनके पिता एएमयू में कानून विभाग के संस्थापक डीन रहे, वहीं दादा शिक्षक रहने के बाद नगर पालिका के अध्यक्ष रह चुके हैं.
तारिक मंसूर परिवार का दशकों से अलीगढ़ में बड़ा नाम रहा है. प्रोफेसर मंसूर की पहचान एएमयू वीसी से नहीं रही है. स्कूल समय से ही उनकी अपने परिवार के जरिए अलग पहचान थी. उनके दादा मौलाना अब्दुल खलीक वकालत की पढ़ायी करने के बाद कानून के शिक्षक रहे. उसके बाद चुनाव लड़े और नगर पालिका के अध्यक्ष पद पर आसीन हुए. दादा की तर्ज पर उनके पिता ने भी परिवार को नाम को ऊंचा किया. पिता हफीजुर्रहमान ने भी कानून की पढ़ाई की. वे 1933 में छात्रसंघ के सचिव भी रहे. उसके बाद वह एएमयू के पहले ऐसे छात्र हैं, जो विधि संकाय में प्रोफेसर बनने के साथ ही पहले डीन भी बने. संस्थापक डीन होने के साथ उन्होंने एएमयू के लिए कई पदों पर रहकर काफी काम किया. उनके पांच बेटे हुए, जिसमें बड़े बेटे रशीदउर्रजफर जामिया हमदर्द विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर पद पर आसीन रहे. वीसी पद पर रहते हुए ही सऊदी अरब में एक सड़क हादसे में उनका निधन हो गया था. प्रोफेसर तारिक मंसूर को शुरुआत से ही मेडिकल क्षेत्र पसंद था. ऐसे में उन्होंने एएमयू के सर्जरी विभाग से पढ़ायी कर वहां प्रोफेसर बने. मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य रहने के साथ उन्होंने गेम्स कमेटी पद पर भी अपनी सेवाएं दीं. बाद मंो वीसी बनाये गये.
किस्मत के शुरुआत से धनी रहे तारिक मंसूर
प्रो तारिक मंसूर शुरुआत से किस्मत और दिमाग के धनी रहे हैं. विश्वविद्यालय में छह साल के कार्यकाल में कई उतार चढ़ाव आये, लेकिन कोई निर्णय लेने में उन्होंने कभी किसी की मदद नहीं ली. बड़ी से बड़ी समस्याओं को बड़ी सूझबूझ के साथ दूर करने में कामयाबी हासिल की.
अब मैरिस रोड आवास रहेगा राजनीति का केंद्र
प्रो मंसूर का अभी तक किसी से मिलने जुलने का ठिकाना विवि का वीसी लॉज हुआ करता था, लेकिन अब उनका मेरिस रोड स्थित आवास उनकी राजनीति का केंद्र रहेगा. वहीं से वह प्रदेश से देश स्तर के अपने राजनीतिक कॅरियर को बढ़ावा देंगे.