Meerut: शिक्षा में ऊंची छलांग लगाने वाला मेरठ स्वास्थ्य के क्षेत्र में अभी एक पायदान नीचे

मेडिकल बने एम्स तो खत्म हो दिल्ली की दौड़

Update: 2024-08-13 04:57 GMT

मेरठ: चिकित्सा और शिक्षा के फलक पर पश्चिम उत्तर प्रदेश में मेरठ एक बड़ा नाम है. लेकिन शिक्षा में ऊंची छलांग लगाने वाला मेरठ स्वास्थ्य के क्षेत्र में अभी एक पायदान नीचे है. कारण यहां एम्स या पीजीआई जैसे उच्चीकृत मेडिकल संस्थान न होना है. जबकि एलएलआरएम मेडिकल कालेज को पश्चिम यूपी का पहला एम्स बनाया जा सकता है. ऐसा होने के बाद यहां के मरीजों को इलाज के लिए दिल्ली तक नहीं भटकना पड़ेगा.

मेरठ में दो राज्य और चार निजी क्षेत्र के विश्वविद्यालय हैं. प्रदेश की पहला खेल विवि भी यहां बन रहा है. तीन मेडिकल कॉलेज भी हैं. लेकिन एम्स या पीजीआई जैसे उच्चीकृत मेडिकल संस्थान की कमी बनी हुई है. संसद और विधानसभा में कई बार मेडिकल कॉलेज को एम्स बनाने की मांग उठ चुकी है. पूर्व सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने संसद, जबकि पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने विधानसभा में मेडिकल कालेज को एम्स में तब्दील करने या संस्थान बनाने की मांग कई बार उठाई. पिछले दिनों यहां के विधायकों और मंत्रियों ने मुख्यमंत्री योगी से मिलकर ये मांग उनके सामने रखी. सभी का कहना है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मरीजों को दिल्ली तक इलाज के लिए भटकना पड़ता है. यदि मेरठ मेडिकल कालेज को लखनऊ के राम मनोहर लोहिया अस्पताल की तर्ज पर इंस्टीट्यूट में भी बदल दिया जाए तो पश्चिम उप्र के मरीजों को एम्स और पीजीआई नहीं भटकना पड़ेगा.

इससे यहां का बजट भी बढ़ जाएगा जिससे मरीजों को बेहतर इलाज और दवा मुहैया कराई जा सकेगी. अभी यहां का सलाना बजट स्टाफ का वेतन मिलाकर सिर्फ 150 करोड़ है. जबकि पीजीआई और राम मनोहर लोहिया जैसे संस्थानों को सालाना एक हजार करोड़ से ज्यादा का बजट मिलता है.

मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. आरसी गुप्ता का कहना है कि अस्पताल में तकरीबन सभी विभाग और उपकरण उपलब्ध हैं, लेकिन एम्स बनने से शिक्षा और इलाज की गुणवत्ता कई गुना बढ़ेगी. मेडिकल कालेजों को इंस्टीट्यूट में बदलने का प्रस्ताव शासन के पास लंबित है.

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