मेरठ न्यूज़: मेरठ विकास प्राधिकरण के इंजीनियर थाने में तहरीर देकर भूल गए हैं। अवैध निर्माण के बाद लगाई गई सील तोड़ने के मामले में प्राधिकरण इंजीनियरों के द्वारा थानों में तहरीर तो दी जाती है, लेकिन खानापूर्ति वाली तहरीर भी दी जाती है। इसका थाने में भी कोई संज्ञान नहीं लिया जाता, जिसके चलते मेरठ विकास प्राधिकरण की तरफ से भेजी गई तहरीर पर कोई मुकदमा ही दर्ज नहीं किया जाता, जिसके चलते अवैध निर्माण बदस्तूर चलता रहता है। पीएल शर्मा रोड पर जैसे ही कोआॅपरेटिव बैंक की तरफ से एंट्री करेंगे, तभी अवैध निर्माण किया जा रहा है। इस पर छह माह पहले प्राधिकरण इंजीनियरों की तरफ से सील की कार्रवाई की गई थी। लंबे समय तक सील लगी रही। फिर सील को तोड़कर फेंक दिया गया। इसके बाद इंजीनियर ने थाने में तहरीर दी और इस तहरीर को देखकर प्राधिकरण के इंजीनियर भूल गए। अब फिर से अवैध निर्माण चल रहा है। सील का क्या हुआ? कुछ पता नहीं। नया निर्माण चालू कर दिया है। तहरीर पर मुकदमा दर्ज क्यों नहीं किया? इसको भी प्राधिकरण के इंजीनियर नहीं पूछते। इससे इस निर्माण से करीब 20 कदम की दूरी पर पीएल शर्मा रोड पर चलते हैं तो फिर राइट हैंड पर बड़ा निर्माण चल रहा है।
इस पर भी सील की कार्रवाई की गई थी, वह सब हुआ जो पहले भी निर्माण के मामलों में किया जाता रहा है। थाने में तहरीर दी गई। खानापूर्ति वाली और अब फिर निर्माण बदस्तूर चल रहा है। इसी तरह से बेगमपुल पर श्रम विभाग आॅफिस से सटकर शोरूम बना दिया गया। इस शोरूम पर पार्किंग नहीं है, लेकिन प्राधिकरण इंजीनियर की तरफ से इसमें नहीं तो तहरीर दी गई और ना ही यह काम रुकवाया गया। कहा गया है कि कंपाउंडिंग के नाम पर इसकी फाइल को लटका दिया गया है। अधिकारियों की नजर में बिल्डिंग कंपाउंड हो रही है, लेकिन कंपाउंडिंग के भी नियम है। पार्किंग भी होनी चाहिए। सेट बैक भी छोड़ा जाना चाहिए, लेकिन यहां नियम कोई भी पूरा नहीं किया जा रहा है।
ग्रीन वर्ज में भी चल रहे निर्माण: हाइवे पर चोटीवाला रेस्टोरेंट के बराबर में अवैध निर्माण चल रहा हैं। ये पूरा निर्माण ग्रीन वर्ज में बना दिया गया हैं। इस पर दो बार एमडीए सील भी लगा चुका हैं, लेकिन फिर भी निर्माण कार्य चल रहा हैं। निर्माण रुकवाने के लिए कंकरखेड़ा थाने में तहरीर तो दी गई, लेकिन तहरीर पर अमल नहीं हुआ। यहां भी एमडीए इंजीनियर तहरीर देकर भूल गए हैं। ग्रीन वर्ज में कैसे निर्माण होने दिया जा रहा हैं, इसके लिए जवाबदेही किसकी हैं? जिम्मेदारों पर क्या कार्रवाई की जाएगी। जब निर्माण चल रहा हैं। थाने में तहरीर दे दी गई है तो फिर निर्माण ध्वस्तीकरण करने के लिए तारीख फिक्स क्यों नहीं की जा रही हैं। यदि इसी तरह से ग्रीन वर्ज में निर्माण चलते रहे तो फिर भविष्य में ग्रीन वर्ज ही खत्म हो जाएगा।
बाद में एमडीए इन बिल्डिंग को तब गिराता है, जब एनजीटी की तरफ से फटकार लगती हैं। परतापुर से लेकर मोदीपुरम तक ग्रीन वर्ज हैं, जिसमें तीन दर्जन से ज्यादा निर्माण कर दिये गए हैं। ये निर्माण कैसे होने दिये गए? इसके बारे में एमडीए के अधिकारी भी कुछ भी नहीं बोल रहे हैं।