मायावती ने यहां से राम शिरोमणि वर्मा को मैदान में उतारा

Update: 2023-07-04 09:31 GMT

 श्रावस्‍ती के नाम कई पौराणिक और ऐतिहासिक कहानियां दर्ज हैं. बताया जाता है कि श्रावस्‍ती को भगवान श्रीराम के पुत्र लव ने राजधानी बनाया था. गौतम बुद्ध के समय में यह कोशल राष्ट्र की राजधानी हुआ करती थी. बौद्ध तीर्थ स्‍थल के तौर पर पूरे विश्व में जानी जाने वाली श्रावस्‍ती के लोकसभा क्षेत्र में श्रावस्‍ती की दो और बलरामपुर जिले की तीन विधानसभा सीटें शामिल हैं.

2019 में सपा-बसपा के महागठबंधन में श्रावस्‍ती की सीट बीएसपी को मिली थी. मायावती ने यहां से राम शिरोमणि वर्मा को मैदान में उतारा जिन्‍होंने भाजपा के सीटिंग एमपी दद्दन मिश्रा को पटखनी देकर सबको चौंका दिया. तब कांग्रेस पार्टी ने यहां से धीरेंद्र प्रताप सिंह को उम्‍मीदवार बनाया था. श्रावस्‍ती में 2019 की लड़ाई पूरी तरह जातीय समीकरणों और राष्‍ट्रवाद के इर्द-गिर्द लड़ी गई. इस लड़ाई में जातीय समीकरणों ने बाजी पलट गई जिसका सीधा फायदा बीएसपी को मिला.

श्रावस्‍ती लोकसभा सीट का इतिहास

सिर्फ 15 वर्ष पहले 2008 में वजूद में आई इस लोकसभा सीट पर साल-2009 में पहला चुनाव हुआ था जिसमें कांग्रेस पार्टी के डॉ।विनय कुमार पांडे विजयी हुए थे. इसके बाद 2014 में हुए चुनाव में बीजेपी के दद्दन मिश्र ने जीत दर्ज की थी.

माफिया अतीक ने समाजवादी पार्टी से लड़ा था चुनाव

2014 का लोकसभा चुनाव माफिया अतीक अहमद ने सपा के टिकट पर श्रावस्‍ती से लड़ा था लेकिन मोदी लहर पर सवार बीजेपी के दद्दन मिश्र ने उसे पटखनी दे दी.

जातीय समीकरणों का पेंच

माफिया अतीक अहमद के प्रयागराज से आकर श्रावस्‍ती में चुनाव लड़ने की सबसे बड़ी वजह यहां के जातीय समीकरण थे. माना जाता है कि श्रावस्‍ती लोकसभा क्षेत्र में करीब 20% मुस्लिम और 15% यादव वोट हैं. इसके अतिरिक्त 20 से 25% कुर्मी और 10 से 12% दलित वोट हैं. क्षेत्र में ब्राहमण मतदाता भी अच्‍छी खासी तादाद में करीब 30% हैं जबकि क्षत्रिय वोटर 5 से 7 प्रतिशत. जातीय समीकरणों के इसी गणित में 2014 में अतीक अहमद उलझ कर रह गया और दद्दन मिश्र ने उसे 85,913 वोटों के अंतर से हरा दिया. उस चुनाव में कुल 9,80,196 (54.82%) वोट पड़े थे जिसमें से दद्दन मिश्र को 3,45,964 (35.30%) और अतीक को 2,60,051 (26.53%) वोट मिले थे. बीएसपी ने यहां से लालजी वर्मा को उम्‍मीदवार बनाया था जिन्‍हें कुल 1,94,890 (19.88%) वोट मिले थे. उस चुनाव में पीईसीपी के उम्‍मीदवार रिज़वान जहीर भी लड़े थे जिन्‍हें 1,01,817 (10.39%) वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस पार्टी के विनय कुमार पांडे को 20,006 (2.04%) वोटों से ही संतोष करना पड़ा था.

2019 में महागठबंधन के काम आया जातीय गणित

2014 के चुनाव में जहां मोदी लहर और मुस्लिम, यादव, दलित वोटों के बिखराव ने भाजपा को इस सीट पर बहुत बढ़िया जीत दिलाई वहीं 2019 में सपा-बसपा ने मिलकर जातीय गणित को महागठबंधन के पक्ष में कर लिया. फिर भी उस चुनाव में बीएसपी उम्‍मीदवार राम शिरोमणि वर्मा की जीत का अंतर 5,320 वोटों का ही रहा. उस चुनाव में कुल पड़े 9,97,139 (52.08%) वोटों में से राम शिरोमणि वर्मा ने 4,41,771 (44.31%) वोट हासिल कर सिटिंग एमपी दद्दन मिश्र को हरा दिया था. दद्दन मिश्र को कुल 4,36,451 (43.78%) वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस पार्टी के धीरेन्‍द्र प्रताप सिंह 58,042 (5.82%) वोट पाकर तीसरे स्‍थान पर रहे थे. 2019 के चुनाव में महागठबंधन के उम्‍मीदवार रहे राम शिरोमणि वर्मा को रिजवान जहीर का भी साथ मिला था. उन्‍होंने उनके पक्ष में प्रचार किया था.

गठन के बाद से अब तक रहे सांसद

परिसीमन के बाद श्रावस्‍ती लोकसभा क्षेत्र में 2009 में पहला लोकसभा चुनाव हुआ. इस चुनाव में भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस पार्टी के विनय कुमार पांडेय ने जीत हासिल की. दूसरा चुनाव 2014 में हुआ जिसमें बीजेपी के दद्दन मिश्र विजयी रहे. वहीं तीसरा चुनाव 2019 में हुआ जिसमें सपा-बसपा महागठबंधन के संयुक्‍त उम्‍मीदवार राम शिरोमणि वर्मा विजयी रहे.

ये विधानसभा क्षेत्र हैं शामिल

श्रावस्‍ती लोकसभा क्षेत्र में श्रावस्‍ती के दो (भिनगा और श्रावस्‍ती) और बलरामपुर जिले के तीन (तुलसीपुर, गैंसारी और बलरामपुर सदर) विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव में भिनगा से सपा की इंदाणी देवी ने जीत दर्ज की. जबकि श्रावस्‍ती सदर से बीजेपी के राम फेरन पांडे, बलरामपुर की तुलसीपुर सीट से बीजेपी के कैलाश नाथ शुक्‍ल, गैंसड़ी से समाजवादी पार्टी के डा। एसपी यादव और बलरामपुर सदर सीट से बीजेपी के पलटू राम विजयी रहे थे. 

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