शादीशुदा मुस्लिम व्यक्ति को लिव-इन रिलेशनशिप में रहने का कोई अधिकार नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने कहा है कि इस्लाम धर्म को मानने वाले व्यक्ति को अपनी पत्नी के जीवित रहते हुए लिव-इन रिलेशनशिप में रहने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने यह भी कहा कि इस्लाम किसी मुसलमान को दूसरी महिला के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहने की इजाजत नहीं देता, जबकि उसने किसी अन्य महिला से शादी की हो। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस एआर मसूदी और जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव प्रथम की बेंच ने याचिकाकर्ता हिंदू लड़की स्नेहा देवी और शादीशुदा मुस्लिम व्यक्ति मुहम्मद शादाब खान की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया.
कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि संविधान का अनुच्छेद 21 ऐसे रिश्ते के अधिकार को मान्यता नहीं देता है और यह पूरी तरह से अवैध है. याचिकाकर्ता के वकील धनंजय कुमार त्रिपाठी ने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय ने समाज को स्पष्ट आदेश दिया है कि यदि अलग-अलग धर्मों के लोग पहले से ही शादीशुदा हैं, तो उन्हें अपने पारिवारिक जीवन में रहना चाहिए, अतिक्रमण नहीं करना चाहिए, सामाजिक व्यवस्था में रहना चाहिए, यदि कोई है शादीशुदा है, उसे किसी अन्य महिला के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में नहीं रहना चाहिए, इससे भारत की संस्कृति को नुकसान होगा। (एएनआई)