कोर्ट के चक्कर काट रहे कई भर्ती के अभ्यर्थी, नौ साल बाद आया परिणाम उस पर भी विवाद
इलाहाबाद न्यूज़: सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में प्रधानाचार्य भर्ती 2013 के लिए नौ साल बाद पिछले महीने घोषित परिणाम विवादों में घिरता नजर आ रहा है. परिणाम से असंतुष्ट अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका कर दी है. इन अभ्यर्थियों का कहना है कि जिन स्कूलों के लिए प्रधानाचार्य का चयन होना है, वहां साक्षात्कार के लिए केजिंग बनाने का नियम है. साक्षात्कार में मेरिट के अनुसार पांच बाहरी अभ्यर्थियों और उसी स्कूल के दो वरिष्ठतम शिक्षकों यानी कुल सात को शामिल किया जाता है, लेकिन प्रधानाचार्य भर्ती 2013 में इस नियम का पालन नहीं किया गया. चयन प्रक्रिया के दौरान वरिष्ठतम शिक्षकों को उनके स्कूल की बजाय मंडल के अन्य स्कूलों में साक्षात्कार दिला दिया गया. यही कारण है कि वरिष्ठता के आधार पर साक्षात्कार में शामिल इक्का-दुक्का शिक्षकों का ही चयन हो सका है. माता प्रसाद माता भीख इंटर कॉलेज मिर्जापुर के डॉ. संजय कुमार मिश्र की ओर से दायर याचिका में 28 नवंबर को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने चयन बोर्ड से जवाब दाखिल करने को कहा है. इस मामले की सुनवाई अब 12 दिसंबर को होनी है.
गौरतलब है कि प्रधानाचार्य के 632 पदों पर 2013 के अंत में विज्ञापन जारी हुआ था और फरवरी 2014 तक आवेदन लिए गए थे. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद चयन बोर्ड ने 11 से 13 नवंबर के बीच 632 में से 581 पदों का परिणाम घोषित किया था.
पैनल जारी करने की तैयारी में चयन बोर्ड प्रधानाचार्य भर्ती 2013 को लेकर एक तरफ याचिकाएं हो रही हैं तो दूसरी ओर चयन बोर्ड पैनल जारी करने की तैयारी में है. सूत्रों की मानें तो एक-दो दिन में चयन बोर्ड की ओर से जिला विद्यालय निरीक्षकों को पैनल भेजा जाएगा और उसके बाद चयनित
प्रधानाचार्यों को कार्यभार ग्रहण कराया जाएगा:
1. बेसिक शिक्षा परिषद के उच्च प्राथमिक स्कूलों में 32022 शिक्षकों की भर्ती छह साल से फंसी.
2. परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में उर्दू विषय के 4000 शिक्षकों की भर्ती भी छह साल से फंसी.
3. 12460 शिक्षकों की भर्ती में शून्य जनपद विवाद, 5948 पदों का मामला कोर्ट में चार साल से लंबित.
4. 69000 शिक्षक भर्ती के तहत आरक्षण से वंचित 6800 अभ्यर्थियों की सूची जनवरी 2022 में जारी हुई थी, विवाद कोर्ट में लंबित है.