Lucknow: नाटक ने लोगों को जादू टोने के माया जाल में न फंसने का प्रभावी संदेश दिया
नाटक ने दिया ढोंगियों से बचने का संदेश
लखनऊ: कामायनी संस्था की ओर से सतीश डे का लिखा रोमांच से भरपूर नाटक किसका हाथ का मंचन प्रदीप श्रीवास्तव की परिकल्पना और नवीन श्रीवास्तव के कुशल निर्देशन में उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के संत गाडगे ऑडिटोरियम में गुरुवार 24 अक्टूबर को किया गया। नाटक ने लोगों को जादू टोने के माया जाल में न फंसने का स्पष्ट और प्रभावी संदेश दिया।
नाटक की कहानी एक व्यापारी अमृत राय की कहानी है जो अजब वस्तुओं को बेचने का व्यापार करता है। इसी क्रम में एक कटा हुआ हाथ एक चोर से खरीद लेता है और फिर शुरू होती है घर में हाथ की रहस्यमयी घटनाएं। सबसे पहले उसके बेटे रंजन का और फिर उसकी बेटी मधु का खून हो जाता है। सब बहुत परेशान होते हैं कि एक मुर्दा हाथ किसी का खून कैसे कर सकता है। जब वह हत्यारा कटा हाथ तीसरा खून करने निकलता है तब इंस्पेक्टर रवि उसे पकड़ लेता है। तब उस हाथ की असलियत मालूम पड़ती है कि वह कोई और नहीं अमृत राय की पत्नी शामुली होती है जो बदला लेने के लिए ऐसा करती है।
मंच पर अनुपम बिसारिया, दिव्याजीत, प्रिया सिंह, सुमित श्रीवास्तव, अंकुर सक्सेना, अभिषेक यादव, योगेश शुक्ला, हरीश बड़ौला, जीत गुप्ता ने विभिन्न पात्रों को प्रभावी रूप से अभिनीत किया। आशुतोष विश्वकर्मा, अभिषेक यादव, दिव्याजीत, जीत गुप्ता का स्टेज क्राफ्ट एंड मैनेजमेंट, नीरा सिन्हा और प्रिया सिंह की कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग, अंकुर सक्सेना के पूर्वाभ्यास नियंत्रण में हुयी इस प्रस्तुति में दिनेश अवस्थी रचित विश्वकर्मा ने मेकअप, विवेक श्रीवास्तव ने संगीत, प्रदीप श्रीवास्तव ने लाइट इफेक्ट्स का दायित्व निभाया वहीं प्रस्तुति नियंत्रक प्रदीप श्रीवास्तव रहे। दृश्यबंध परिकल्पना एवं निर्देशन नवीन श्रीवास्तव का सराहनीय रहा। सहयोगियों में दुर्गेश पाठक, राजेन्द्र नारायण मिश्र, दबीर सिद्धिकी, वान्या गुप्ता सहित अन्य शामिल रहे।