लखनऊ: जिम, ब्यूटी पार्लर, ज्वेलरी शोरूम सहित 21 ट्रेड पर प्रस्तावित लाइसेंस शुल्क लगाने का व्यापारिक संगठनों ने विरोध किया है। लखनऊ व्यापार मंडल के अध्यक्ष अमरनाथ मिश्र ने बताया कि सरकारी बिल्डिंगों पर करोड़ों रुपया बकाया है उसे नगर-निगम वसूल नहीं पा रहा है। व्यापारी पर टैक्स पर टैक्स लगाता जा रहा है। जबकि बाजारों में पेयजल, शौचालय, पार्किंग आदि की बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं। अतिक्रमण की भरमार है, वेंडिंग जोन आज तक बना नहीं पाए।
कामर्शियल टैक्स के रूप में व्यापारी अधिकतम टैक्स दे रहा है। उन्होंने कहा कि यदि प्रस्तावित दरें व्यापारियों पर थोपने का प्रयास किया गया तो सड़क पर उतरकर संघर्ष किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कई वर्षों से ई - कामर्स नीति बनाने की मांग की जा रही है, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। यदि कोई टैक्स व्यापारियों पर लगाया जाता है तो इसका असर सीधा आम जनता के ऊपर होगा।
इसका जिम्मेदार नगर-निगम होगा। वरिष्ठ महामंत्री पवन मनोचा बताया कि ज्वैलरी, फर्नीचर, व्यूटीपार्लर, कपड़ा, जूता, चाय, पेन्ट सहित 21 ट्रेड पर चार से 10 हजार रुपये तक प्रतिष्ठान शुल्क लगाने का प्रस्ताव दिया गया है। होटल, रेस्टोरेन्ट, जलपान गृह, आदि पर पूर्व से निर्धारित प्रतिष्ठान शुल्क में पांच गुना बढ़ोत्तरी करने का प्रस्ताव दिया गया है। उन्होंने कहा कि पहले से कॉमर्शियल हाउस टैक्स, वाटर टैक्स, सीवर टैक्स, नाम परिवर्तन टैक्स, यूजर चार्ज टैक्स सहित कई टैक्स है। अब यह टैक्स व्यावहारिक नहीं है।